नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। पंजाब के मनसा जिले के जावरके गांव में रविवार को पंजाबी गायक और कांग्रेस नेता सिद्धू मूसे वाला की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
28 वर्षीय सिद्धू मूसे वाला मानसा के पास मूसे वाला गांव के रहने वाले थे, जिन्होंने पिछले कुछ सालों में कई सुपरहिट गाने दिए हैं। हालांकि, गायक अपने करियर के दौरान कई विवादों में भी घिरे रहे।
उन्होंने निंजा के गीत ‘लाइसेंस’ से एक गीतकार (lyricist) के रूप में अपना करियर शुरू किया और ‘जी वैगन’ के साथ अपने गायन (singing) करियर की शुरुआत की।
उन्होंने ‘लीजेंड’, ‘डेविल’, ‘जस्ट सुनो’, ‘जट्ट दा मुकाबाला’ और ‘हथियार’ जैसे हिट पंजाबी गाने दिए। लेकिन गैंगस्टर रैप के लिए उन्होंने कुछ ज्यादा ही सुर्खियां बटोरी।
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आइये एक नजर डालते है, उनके कंटोवर्सियल गानों पर –
1. स्केपगोट
इस साल की शुरुआत में पंजाब विधानसभा चुनाव में सिद्धू मूसे वाला ने मानसा से चुनाव लड़ा और आप के विजय सिंगला से हार गए।
जिसके बाद अपनी हार पर भड़ास निकालते हुए, अप्रैल 2022 में, सिद्धू मूसे वाला ने अपने नए गाने ‘स्केपगोट’ में आम आदमी पार्टी (आप) और उसके समर्थकों को निशाना बनाने के बाद एक विवाद खड़ा कर दिया था।
गायक ने कथित तौर पर अपने गाने में आप समर्थकों को ‘गद्दार’ (देशद्रोही) कहा था।
2. खालिस्तान का समर्थन
सिद्धू मूसे वाला का नाम दिसंबर 2020 में खालिस्तान समर्थन से जुड़ा था। मूस वाला ने कथित तौर पर खालिस्तानी अलगाववादी जरनैल सिंह भिंडरावाले का उनके एक गाने ‘पंजाब: माई मदरलैंड’ में समर्थन किया था। गीत में खालिस्तान समर्थक भूपर सिंह बलबीर द्वारा 1980 में दिए गए भाषण के कुछ दृश्य भी शामिल हैं।
3. जत्ती जीने मोड़ दी बंदूक वर्गी
सितंबर 2019 में रिलीज हुए उनके गीत ‘जट्टी जियोने मोड़ दी बंदूक वर्गी’ ने 18वीं शताब्दी के सिख योद्धा माई भागो को लेकर विवाद खड़ा कर दिया।
उन पर इस सिख योद्धा की छवि को धूमिल करने का आरोप लगाया गया था। हालांकि, मूसेवाला ने बाद में माफी मांग ली थी।
4. संजू
सिद्धू पर कई दफा गन कल्चर को प्रमोट करने का भी आरोप लगा। वह उत्तेजक गानों में गैंगस्टरों का गुणगान करते थे। उन पर अपने गाने “संजू” में हिंसा और बंदूक संस्कृति को बढ़ावा देने के आरोप हैं।
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इसके अलावा मई 2020 में मूसे वाला के दो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जिसमें वह पांच पुलिसकर्मियों के साथ एक एके-47 और एक निजी पिस्तौल चलाने की ट्रेनिंग लेते नजर आए। इस मामले में मूस वाला के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था और पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए छापेमारी शुरू कर दी थी।
हालांकि, मूसे वाला गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार हो गए थे। बाद में उन्हें पुलिस जांच में शामिल होने के लिए जमानत दे दी गई थी।