सुप्रीम कोर्ट से जल्द आएगा फैसला, मस्जिद में जय श्री राम का नारा लगाना धार्मिक भावनाएं आहत करना या नहीं? आज सुनवाई

जय श्री राम का जयघोष हिंदुओं में जोश भर देता है लेकिन इस्लाम मानने वाले इससे परहेज करते हैं, कुछ लोगों ने मस्जिद के अंदर घुसकर जय श्री राम का नारा लगा दिया जिसके खिलाफ एक मुस्लिम याचिकर्ता अदालत गए हैं।

Atul Saxena
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Supreme Court : मंदिर मस्जिद विवादों के बीच इससे मिलता जुलता एक नया मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है, ये मामला मस्जिद के अन्दर घुसकर जय श्रीराम का नारा लगाने से जुड़ा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इससे उसकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। हाई कोर्ट ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ चल रही आपराधिक कार्रवाई रद्द कर दी, हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है।

जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में लगे मामलों की सूची में एक मामला कर्नाटक की एक मस्जिद के अन्दर घुसकर जय श्री राम का नारा लगाने से धार्मिक भावनाएं आहत होने से जुड़ा भी है, पूरी उम्मीद है कि इस मामले में आज शुक्रवार को कोर्ट सुनवाई करेगी, सबकी निगाहें इस मामले पर और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हैं।

कर्नाटक की एक मस्जिद में घुसकर जय श्रीराम का लगाया नारा 

घटनाक्रम के मुताबिक सितम्बर 2023 में कर्नाटक के ऐतूर गांव की बदरिया जुमा मस्जिद में कुछ लोगों ने घुसकर ‘जय श्री राम’ के नारे लगाये थे। मामले की शिकायत के बाद पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया था, दक्षिण कन्नड़ जिले की पुत्तूर अदालत में मामला चला और आरोपियों को जमानत मिल गई।

HC ने आपराधिक कार्रवाई रद्द कर दी 

मामला हाई कोर्ट पहुंचा और सुनवाई के बाद कोर्ट ने 13 सितंबर को निचली अदालत की कार्यवाही रद्द कर दी। आरोपियों ने आपराधिक कार्रवाई रद्द करने की मांग की थी। हाई कोर्ट ने 13 सितंबर को उन्हें राहत दे दी और 29 नवंबर को निचली अदालत की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने माना कि जय श्री राम का नारा लगाने से  धार्मिक भावनाएं आहत नहीं हुईं।

हाई कोर्ट के फैसले को बताया गलत 

याचिकाकर्ता हैदर अली के वकील जावेदुर रहमान ने हाई कोर्ट के फैसले को अनुचित बताया उन्होंने कहा कि पुलिस की जांच पूरी नहीं हुई, सभी सबूत अदालत के सामने नहीं आए थे, इसलिए हाई कोर्ट का ये फैसला गलत है। उन्होंने कहा मस्जिद में घुसपैठ करना एक अपराध है, ‘जय श्री राम’ के नारे लगाना सांप्रदायिक तनाव पैदा कर सकता है।

हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती  

याचिकाकर्ता के वकील हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट गए हैं, याचिकाकर्ता हैदर अली का कहना है कि हाई कोर्ट द्वारा आपराधिक कार्रवाई रद्द करने में गलती की है, पुलिस जाँच पूरी होने से पहले, सारे सुबूत अदालत तक पहुँचने से पहले फैसला देना गलत है। उन्होंने कहा कि मस्जिद के अन्दर जबरन घुसना एक अपराध है और जय श्री राम के नारे लगाना दंगे भड़का सकता है जो किसी की भी जान माल को नुकसान पहुंचा सकता है।

फैसले पर सबकी निगाहें 

जानकारी के मुताबिक आज इस मामले की सुनवाई जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच कर सकती है, सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर है। सुप्रीम कोर्ट ही ये फैसला करेगी कि मस्जिद के अन्दर घुसकर जय श्री राम का नारा लगने से किसी की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं या नहीं? सुप्रीम कोर्ट जो फैसला देगा वो उन लोगों के लिए नजीर बनेगा जो इस तरह की बातें करते हैं और मुद्दों को तूल देते हैं, कोर्ट का फैसला निश्चित ही समाज में साम्प्रदायिक सद्भाव बनाये रखने में मददगार साबित होगा।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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