शिंदे के पास ही रहेगी CM पद की कमान, उद्धव के इस्तीफे ने बिगाड़ा सरकार बहाली का प्लान

Sanjucta Pandit
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Shindey and Thakrey

Thackeray vs Shinde Supreme Court Verdict : सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने पिछले साल जून में महाराष्ट्र में घटे राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर उद्धव गुट बना शिंदे गुट मामले में अपना फैसला सुना दिया। दरअसल, उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया था जो कि उन्हें संविधान के अनुसार मुख्यमंत्री के पद से हटा देता है। बता दें कि उद्धव ठाकरे ने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया था और उन्हें इस्तीफे को रद्द करने की कोई विधि नहीं है। भारतीय संविधान में इस्तीफा के प्रावधान हैं और इसे अधिकारियों को स्वेच्छा से देने की स्वतंत्रता होती है। पुरानी सरकार को बहाल करने के लिए नए चुनाव की आवश्यकता होती है और अगली सरकार के लिए नए नेताओं का चयन किया जाता है।

राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट को ठहराया गलत

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट को गलत ठहराया है। इसलिए अब स्पीकर शिवसेना के 16 विधायकों पर जल्द ही अपना निर्णय लेगा। मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि स्पीकर को अयोग्यता याचिकाओं पर उचित समय के भीतर फैसला करना चाहिए। आगे कहा कि यथास्थिति बहाल नहीं की जा सकती क्योंकि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया और अपना इस्तीफा दे दिया।

राज्यपाल के पास कोई संचार नहीं-SC

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि राज्यपाल के पास ऐसा कोई संचार नहीं था जिससे वह यह निर्णय ले सकते थे कि विधायक सरकार से समर्थन वापस लेना चाहते हैं। शिवसेना के विधायकों के एक गुट ने राज्यपाल को उद्धव ठाकरे की अधिकृत विधायक दल से अलग होने का प्रस्ताव पेश किया था। राज्यपाल ने इस प्रस्ताव पर भरोसा करते हुए निष्कर्ष निकाला कि उद्धव ठाकरे अधिकांश विधायकों का समर्थन खो चुके हैं।

फैसले पर इनका ये कहना

जो लोग सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर अटकले लगाते हुए कहते थे कि हमारी सरकार जाएगी आज उन्हें जवाब मिल गया है- देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिंदे गुट का व्हिप गैरकानूनी है, इसका मतलब है कि उनका व्हिप गैरकानूनी है और हमारे व्हिप ने जो आदेश दिया वह कानूनी है, तो उस व्हिप के मुताबिक सबकी(शिंदे गुट) सदस्यता निरस्त हो जाएगी- संजय राउत, उद्धव गुट के नेता

शिंदे ने 30 जून को ली थी CM पद की शपथ

बता दें कि महाराष्ट्र में शिवसेना विधायकों की बगावत के बाद महाराष्ट्र विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार पिछले साल जून में गिर गई थी। जिसके बाद 30 जून को शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। जिसके खिलाफ उद्धव ठाकरे सुप्रीम कोर्ट गए थे। इस मामले को पांच जजों की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच को ट्रांसफर किया गया था। वहीं, आज अंतत: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने सुनवाई की।


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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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