घर होना लोगों का मूलभूत अधिकार, अवैध कॉलोनियों को ध्वस्त करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, देखें ख़बर

बस्तीवाले सरकार के एक्शन को रोकने और इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को ख़ारिज करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और उनके घर नहीं तोड़े जाने की गुहार लगाई जिसपर जस्टिस खन्ना ने कहा 4 मार्च तक हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी सर्वोच्च अदालत ने कहा कि जिन लोगों के घरों को ढहाया है क्या उन्हें कोई आर्थिक मदद दी गई, जस्टिस खन्ना ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा कि सिर पर छत होना हर व्यक्ति का मूलभूत अधिकार है, यहाँ सरकार की कमियां दिखाई दे रही है।

Atul Saxena
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Illegal Colony Supreme Court Order : अवैध कॉलोनियों के बेतहाशा निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की बुनियादी सुविधाओं पर सवाल खड़े किये हैं , सुप्रीम कोर्ट का कहना है यदि किफायती कीमत पर लोगों को घर उपलब्ध कराने में सरकारी नीतियाँ असमर्थ होती है तो अवैध कालोनी निर्माण तय है, कोर्ट ने ये भी कहा कि किसी भी व्यक्ति के सिर पर छत होना उसका मूलभूत अधिकार है सरकार को अवैध निर्माण तोड़ते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए।

यूपी के अकबर नगर में चला है बाबा का बुलडोजर 

दर असल सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अकबरनगर में हुए बुलडोजर एक्शन के खिलाफ लगी याचिका पर सुनवाई कर रही थी, लखनऊ डवलपमेंट एथोरिटी (LDA) ने पिछले दिनों 23 बुलडोजर लगाकर दो बड़े काम्प्लेक्स ढहा दिए , ये काम्प्लेक्स कुकरैल नदी के पास एक अवैध बस्ती में बने हुए थे, इस काम्प्लेक्स में 1068 से ज्यादा अवैध मकान और 50 से अधिक दुकानें और शोरुम बने हुए थे।

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नदी किनारे अवैध बस्ती की जगह रिवर फ्रंट बनाना चाहती है सरकार 

बाबा का बुलडोजर चलने के बाद इस पर सियासत शुरू हो गई , सरकार यहं रिवर फ्रंट बनाना चाहती है इससे पहले दिसंबर में इस अवैध बस्ती में बुलडोजर चला था, तब  इलाहबाद हाईकोर्ट ने सरकार के एक्शन के खिलाफ पहुंचें बस्तीवालों को फौरी तौर पर राहत दी थी , लेकिन अब एक बार फिर से हुई कार्रवाई  हुई जिसके खिलाफ बस्ती वाले फिर हाईकोर्ट गए लेकिन  27 फरवरी को हाईकोर्ट ने उनकी याचिका ख़ारिज आकर दी, उयाचिका ख़ारिज होते ही योगी सरकार का बुलडोजर एक्शन शुरू हो गया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च तक लगाई रोक 

बस्तीवाले सरकार के एक्शन को रोकने और इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को ख़ारिज करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और उनके घर नहीं तोड़े जाने की गुहार लगाई जिसपर जस्टिस खन्ना ने कहा 4 मार्च तक हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी सर्वोच्च अदालत ने कहा कि जिन लोगों के घरों को ढहाया है क्या उन्हें कोई आर्थिक मदद दी गई, जस्टिस खन्ना ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा कि सिर पर छत होना हर व्यक्ति का मूलभूत अधिकार है, यहाँ सरकार की कमियां दिखाई दे रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने LDA और यूपी सरकार को ये निर्देश भी दिए 

कोर्ट ने कहा कि लोगों एन स्वीकार किया है कि जमीन सरकार की है और उनका निर्माण अवैध है, इसलिए उन्हें 4 मार्च को रात 12 बजे तक अपना सामान निकालने का समय दिया जा रहा है उसके बाद LDA अपनी कार्रवाई अकरने के लिए स्वतंत्र होगा, कोर्ट ने कहा कि एलडीए के पास अवैध निर्माण ध्वस्त करने का अधिकार है, कोर्ट ने अवैध निर्माणों को गिराने से पहले और बाद की तस्वीरें वीडियो बनाने के भी निर्देश दिए।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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