दिल्ली,डेस्क रिपोर्ट। अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान ने कहा था कि जिस तरह से महिलाओं को लेकर कहा जा रहा है कि उनके राज में महिलायें न तो सुरक्षित है और न ही वह घरों से निकल सकेगी। लेकिन ऐसा नही होगा महिलाओं को भी समान अधिकार दिए जाएंगे। लेकिन धीरे धीरे तालिबान का असल चेहरा सामनें आ रहा है।
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तालिबान ने कहा था कि महिलाएं पहले की ही तरह अपना काम कर सकती हैं। उसने ये भी कहा था कि वो महिलाओं का अपनी सरकार में स्वागत करेगा। लेकिन, अब ये बातें झूठी साबित हो रही हैं। रेडियो-टीवी अफगानिस्तान (आरटीए) में काम करने वाली महिलाओ को भी काम पर पर वापस लौटने से मना कर दिया गया है, लेकिन अब हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं। रेडियो स्टाफ का कहना है कि काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद जब वो अपने काम पर वापस गईं तो उन्हें वहां मौजूद तालिबानी आतंकियों ने अंदर नहीं जाने दिया। काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने कहा था कि उनके राज में महिलाएं काम कर सकेंगी और उन्हें इस्लामिक कानून के तहत इसकी इजाजत दी जाएगी। लेकिन वहां पर उनकी कथनी और करनी में साफ अंतर दिखाई दे रहा है।
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अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान जिस तरह की बातें कह रहा था अब उसकी हकीकत भी सामने आने लगी है। तालिबान का क्रूर चेहरा दुनिया को देखने को मिल रहा है। दो दिन पहले ही एक वीडियो फुटेज में एक व्यक्ति को सरेआम फांसी देते हुए दिखाया गया था। निहत्थे अफगानियों पर भी तालिबान ने एक दिन पहले गोली चलाई थी। महिलाओं को लेकर जिस तरह के बयान तालिबान दे रहा था लेकिन उनकी रणनीति सामने या गई है।