नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। पेट्रोल डीजल को GST की दायरे में लाने की उम्मीदों पर फ़िलहाल पानी फिर गया है क्योंकि शुक्रवार को लखनऊ में आयोजित GST काउन्सिल की बैठक में अधिकतर राज्यों ने इस पर सहमति नहीं दी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित GST काउन्सिल की बैठक में अधिकांश राज्यों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया।
पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों ने आम इंसान की कमर तोड़ दी है। भाड़ा बढ़ने से व्यापारी परेशान है। लोग इसपर लगने वाले राज्यों के टैक्स कम करने की मांग कर रहे हैं साथ ही पेट्रोल डीजल को GST के दायरे में लाने की मांग का रहे हैं। लखनऊ में शनिवार को आयोजित हुई GST काउन्सिल की 45वीं बैठक में पेट्रोल डीजल को GST के दायरे में लाने के प्रस्ताव पर चर्चा हुई लेकिन अधिकांश राज्यों ने इसपर सहमति नहीं जताई और प्रस्ताव का विरोध किया।
ये भी पढ़ें – मप्र के चयनित शिक्षकों के लिए बड़ी खुशखबरी, जल्द मिलेगी नियुक्ति! तैयारियां तेज
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि ये मुद्दा केरल हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद बैठक में रखा गया था लेकिन सदस्यों ने इसका विरोध किया इसलिए GST काउन्सिल ने माना कि पेट्रोलियम उत्पादों को GST के दायरे में लाने का ये सही समय नहीं है।
ये भी पढ़ें – Gold Silver Rate : चांदी में भारी गिरावट, सोना भी सस्ता, खरीदने का अच्छा मौका
दरअसल GST सिस्टम में यदि कोई बदलाव करना हो तो उसके तीन चौथाई सदस्यों की यानि अप्रूवल की जरुरत होती है और पेट्रोल डीजल के मामले में ये अप्रूवल नहीं मिला। सूत्रों के मुताबिक कुछ राज्यों ने विरोध की वजह बताते हुए कहा कि ऐसा कर हम केंद्र सरकार को राजस्व जुटाने का एक मुख्य साधन ही दे देंगे इससे हमारा नुकसान होगा। इसलिए अब ये स्पष्ट हो गया है कि फिलहाल पेट्रोल डीजल GST के दायरे में नहीं आ रहा है। ये तभी सस्ता हो पायेगा जब राज्य सरकारें उनके द्वारा लगाए जा रहे टैक्स को कम कर दें। बहरहाल देश को लोगों को अभी पेट्रोल डीजल की आसमान छूती कीमतों के वार को झेलना ही होगा।