हिमाचल प्रदेश के शिमला में स्क्रब टाइफस से हुई पहली मौत ने स्थानीय लोगों में डर और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। दरअसल इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (IGMC) में 91 वर्षीय व्यक्ति की इस बीमारी से इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। इस घटना ने न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि देशभर में भी इस बीमारी को लेकर सतर्कता बढ़ा दी है।
दरअसल स्क्रब टाइफस एक गंभीर बीमारी है, जो ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया से होती है। जानकारी के अनुसार यह बैक्टीरिया एक विशेष प्रकार के छोटे कीट (माइट) के काटने से इंसानों में फैलता है। ये माइट अक्सर झाड़ियों, घास और ग्रामीण क्षेत्रों में पाए जाते हैं, इसलिए इस बीमारी को “स्क्रब टाइफस” कहा जाता है। आमतौर पर इसका प्रसार एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में होता है, लेकिन भारत के कुछ हिस्सों में भी इसका प्रभाव देखा गया है।
2 अगस्त को इस बीमारी से पीड़ित पाया गया था
जानकारी के अनुसार शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (IGMC) में स्क्रब टाइफस से संक्रमित 91 वर्षीय एक बुजुर्ग की इलाज के दौरान मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक, यह व्यक्ति 2 अगस्त को इस बीमारी से पीड़ित पाया गया था और उसे तुरंत IGMC में भर्ती किया गया था। हालांकि, उपचार के बावजूद उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती गई, जिसके परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु हो गई। IGMC के डॉक्टरों के मुताबिक, अब तक इस अस्पताल में स्क्रब टाइफस के 40 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
स्क्रब टाइफस के लक्षण:
बुखार: लगातार और तेज बुखार जो कई दिनों तक रह सकता है।
सिरदर्द: तेज सिरदर्द, जो सामान्य दर्द निवारक दवाओं से ठीक नहीं होता।
बदन और मांसपेशियों में दर्द: शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द, खासकर मांसपेशियों और जोड़ों में।
चकत्ते: शरीर पर चकत्ते या दाने निकल आना।
गिल्टियां: हाथ-पैर, गर्दन और कूल्हों के नीचे सूजन या गिल्टियां।
ऑर्गन फेलियर: समय पर इलाज न होने पर यह बीमारी ऑर्गन फेलियर या इंटरनल ब्लीडिंग जैसी गंभीर स्थितियों का कारण बन सकती है।
दरअसल स्क्रब टाइफस का प्रसार मुख्य रूप से ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया से संक्रमित माइट्स के कारण होता है। ये माइट्स झाड़ियों, घास और पत्तियों में रहते हैं और इंसानों को काटते हैं। जहां माइट काटता है, वहां एक छोटा घाव बनता है, जो धीरे-धीरे संक्रमण का स्रोत बनता है। इस संक्रमण से शरीर में बुखार, दर्द और चकत्ते जैसी समस्याएं सामने आती हैं।