डेस्क रिपोर्ट। नये साल के आगाज के साथ ही लोगों के जेब पर भी इसका असर पड़ने वाला है, नये साल के पहले दिन से ही सभी कपड़े और अन्य कपड़ा उत्पादों में 12% जीएसटी लगाया जा रहा जिसके चलते अब कपड़ा महंगा होगा, उम्मीद जताई जा रही थी कि मंगलवार को वित्त मंत्रालय में होने वाली बैठक में मंत्री इस पर विचार कर सकते है लेकिन व् वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कपड़ा मंत्रालय के प्रस्तावों को खारिज कर दिया और सीआईएटी (अखिल भारतीय व्यापारियों के परिसंघ) से कराधान वृद्धि को 5% से बढ़ाकर 12% करने का अनुरोध किया।
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नये साल में बदलाव
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) में 1 जनवरी, 2022 से कई बड़े बदलाव होने वाले हैं, इन बदलावों में ई-कॉमर्स ऑपरेटरों पर पैसेंजर ट्रांसपोर्ट या रेस्टोरेंट सर्विसेज के माध्यम से प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर टैक्स का भुगतान करने का दायित्व शामिल है, साथ ही, फुटवियर और टेक्सटाइल सेक्टर में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में करेक्शन शनिवार यानी 1 जनवरी से लागू होगा, जिसमें सभी फुटवियर पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा, जबकि कॉटन को छोड़कर सभी टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा।
इसके साथ ही साल के पहले दिन से ऑटो-रिक्शा चालकों द्वारा ऑफलाइन / मैनुअल मोड के माध्यम से प्रदान की जाने वाली पैसेंजर ट्रांसपोर्ट सर्विस पर छूट जारी रहेगी, जब किसी भी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रदान की जाने वाली ऐसी सेवाओं पर 1 जनवरी, 2022 से 5 फीसदी टैक्स लगेगा।
खाने के बिल पर भी पड़ेगा असर
नए बदलाव के बाद स्विगी और जोमैटो जैसे ई-कॉमर्स ऑपरेटरों को 1 जनवरी से उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली रेस्तरां सेवाओं पर जीएसटी लगेगा, उन्हें ऐसी सेवाओं के संबंध में चालान जारी करने की भी आवश्यकता होगी, हालांकि, इससे अंतिम उपभोक्ता पर कोई अतिरिक्त टैक्स का बोझ नहीं पड़ेगा क्योंकि इस समय रेस्तरां जीएसटी जमा कर रहे हैं, केवल, जमा और चालान जुटाने के अनुपालन को अब फूड डिलीवरी प्लेटफार्मों पर स्थानांतरित कर दिया गया है। सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि बीते 2 सालों में खाने की डिलीवरी करने वाले ऐप्स 2000 करोड़ रुपये का खराब प्रदर्शन दिखा चुके थे, इन प्लेटफार्मों को जीएसटी जमा के लिए उत्तरदायी बनाने से कर चोरी पर अंकुश लगेगा।
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जीएसटी रिफंड का दावा करने के लिए आधार ऑथेंटिकेशन अनिवार्य
अन्य टैक्स-चोरी रोकने के लिए उपाय जो नए साल से लागू होंगे, उनमें जीएसटी रिफंड का दावा करने के लिए अनिवार्य आधार ऑथेंटिकेशन, उन मामलों में जीएसटीआर -1 दाखिल करने की सुविधा को रोकना है जिसने टैक्स का भुगतान नहीं किया है और तुरंत पिछले महीने का जीएसटीआर-3बी दाखिल कर दिया है। इस समय नियम आउटवर्ड सप्लाई या जीएसटीआर-1 के लिए रिटर्न दाखिल करने को प्रतिबंधित करता है, अगर कोई बिजनेस पिछले दो महीनों के जीएसटीआई-3बी को दाखिल करने में विफल रहता है, हालांकि, जीएसटीआर-1 ट्रांजैक्शन के अगले महीने की 11 तारीख तक फाइल करना होगा और जीएसटीआर-3B अगले महीने की 20 तारीख तक फाइल किया जाएगा।
बिना नोटिस वसूली को पहुंच सकते हैं अधिकारी
इसके अलावा, जीएसटी कानून में संशोधन किया गया है ताकि जीएसटी अधिकारियों को बिना किसी पूर्व कारण बताओ नोटिस के कर बकाया की वसूली के लिए परिसर का दौरा करने की अनुमति दी जा सके, अगर फॉर्म में दिखाया गया टैक्स इनवॉइस में दिखाए गए चालान से कम है, तो जीएसटी अधिकारी रिटर्न भरने वाले व्यापारियों के खिलाफ कदम उठा सकते हैं।