महिला आयोग की अध्यक्ष ने महिलाओं को लेकर ही दे दिया विवादित बयान, कहा- युवतियां खुद बनाती है संबंध फिर दर्ज कराती है रेप केस

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। लगातार देश और प्रदेश के छोटे-छोटे हिस्सों में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और रेप (Rape) जैसी घटनाओं में इजाफा (increase) हो रहा है। हर दिन देश के अलग-अलग जगहों से रेप (Rape) के मामले सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh)  राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष (Chairman of Chhattisgarh State Commission for Women) डॉ. किरणमयी नायक (Dr. Kiranmayi Nayak) ने दुष्कर्म की घटनाओं के संबंध में एक सनसनीखेज बयान दिया है। उन्होंने अपने बयान में कहा है कि 18 साल की होते ही युवतियां लिव इन में रहने लगती है और अपनी सहमति से संबंध बनाती है। जिसके बाद युवक के खिलाफ दुष्कर्म के मामले दर्ज करवाती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ये आज कल एक ट्रेंड बनता जा रहा है।

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष का बयान

छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग (Chhattisgarh State Commission for Women) की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने बताया कि आज कल एक ट्रेंड (Trend) शुरू हो गया है। जिसमें लड़कियां 18 साल की होते ही शादी कर लेती है और फिर एक बच्चा पैदा करने के बाद महिला आयोग के पास आती है। उन्होंने कहा कि ‘मैं ऐसे महिलाओं व लड़कियों से अपील करना चाहती हूं कि वे पहले अपनी शिक्षा पूरी कर ले और जिम्मेदार बने, साथ ही यह भी सुनिश्चित करें की जिससे उनकी शादी हो रही है वह जिम्मेदार है या नहीं’।

किरणमयी ने कही ये बातें

इसी कड़ी में किरणमयी ने कहा कि अगर आप एक विवाहित युवक से प्रेम करते हैं, तो आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह युवक दोनों का जीवन यापन करने में सक्षम है या फिर नहीं। साथ ही ऐसे मामलों में इसकी सूचना पुलिस को अवश्य रुप से देनी चाहिए। उन्होंने आगे बढ़ते हुए कहा कि ‘मैं अधिकतर ऐसे मामलों में देखी हूं कि युवतियां पहले तो लिव इन में रहती है और अपनी सहमति से संबंध बनाती है। फिर बाद में थाने में दुष्कर्म का मामला दर्ज करवाती है’।

उन्होंने कहा कि ‘मैं आपसे निवेदन करना चाहती हूं, कि आप पहले अपने रिलेशनशिप को अच्छे से जाने और समझे। क्योंकि अगर आप ऐसे किसी भी रिश्ते में बंधते हैं, तो इसका परिणाम हमेशा बुरा ही होगा।’


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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