खुशियों में छाया मातम, 10 वर्षीय बालक पटाखे से झुलसा, हुई मौत

Gaurav Sharma
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डिंडौरी, डेस्क रिपोर्ट। जिले के गोरखपुर कस्बे के करंजिया जनपद से आज दोपहर एक 10 वर्षीय बालक का पटाखे में जलने से मौत होने का मामला सामने आया है। दरअसल बालक का नाम हरि बताया जा रहा है, जो आवासटोला का रहने वाला है। जानकारी के अनुसार, बालक अपने कुछ दोस्तों के साथ शारदा मंदिर के आस-पास स्टील की पतीली (गंजी) और डिब्बे में पटाखे को भरकर फोड़ रहा था, तभी उसके गले पर पतीले का टुकड़ा जा घुसा। जिसके बाद आनन-फानन में बालक को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया।

अस्पताल कर्मचारियों ने किया मृत घोषित

दरअसल घटना के बाद बालक खून से लतपथ हो गया था। जिसके बाद परिजन बालक को तुरंत ही कस्बे के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपचार के लिए ले गए, जहां डॉक्टरों ने बालक को मृत करार कर दिया। वहीं गाड़ासरई थाने में हादसे की सूचना दी गई।

माता-पिता महानगर में करते थे मजदूरी

बता दें कि जिस वक्त हादसा हुआ बालक के माता-पिता महानगर में मजदूरी करने गए थे, जबकि बालक अपने दादी और चाचा के साथ में रह रहा था। इस हादसे के बाद पूरे परिवार में मातम छा गया है। गनीमत रही कि जिन बच्चों के साथ हरि खेल रहा था, उनमें से किसी भी बच्चे को चोट नहीं आई है।

जांच में जुटी पुलिस

सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने कहा कि मृत बालक अपने दादी और चाचा के साथ रहता था, उसके माता-पिता महानगर में मजदूरी करने गए थे, जिन्हें घटना की सूचना दी गई है। वहीं हादसे के बाद पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है। फिलहाल पुलिस ने बालक के शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दी है और की जांच में जुटी हुई है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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