हैवानियत : बेटे ने अपनी ही मां के साथ पहले किया दुष्कर्म और फिर सुला दिया मौत की नींद

Gaurav Sharma
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कर्नाटक, डेस्क रिपोर्ट। कर्नाटक के हवेरी जिले से रिश्ते को शर्मसार करने वाला एक मामला सामने आया है, जिसमें एक बेटे ने अपनी सगी मां के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या कर दी है। पुलिस को मामले की जानकारी लगते ही उसने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, आरोपी बेटे के जुर्म काबूल करने के बाद उसे जेल भेज दिया गया है।

वही पूरे मामले को लेकर हवेरी पुलिस ने कहा कि 21 साल के आरोपी बेटा शिवप्पा ने अपनी मां के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या कर दी । जानकारी के अनुसार आरोपी ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है। वही पूछताछ में और भी खुलासे होने की उम्मीद जताई जा रही है।

वारदात के बारे में बताते हुए पुलिस ने कहा कि 13 नवंबर को आरोपी शिवप्पा ने खूब शराब पी ली थी, साथ ही उसने अपनी मां को भी शराब पिलाई थी। जिसके बाद आरोपी ने अपनी मां को रिश्तेदार के पास ले जाने की बात कही थी, जिसके बाद आरोपी ने अपनी मां के साथ बीच रास्ते में दुष्कर्म करते हुए उसकी हत्या कर दी।

पुलिस की जांच में पता लगा कि दो 2 साल पहले ही शिवप्पा के पिता की मौत हो गई थी, जिसके बाद उसकी मां के किसी अन्य पुरुष के साथ संबंध हो गए थे, जिसकी जानकारी लगते ही शिवप्पा ने काफी विरोध किया था और अपना रिश्ता खत्म करने की चेतावनी दी थी। वहीं पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी धारा 302 और 376 के तहत मामला दर्ज कर उसे जेल भेज दिया है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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