सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल, मुस्लिम परिवार ने शिव मांदिर के नाम की अपनी जमीन

Gaurav Sharma
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मेरठ, डेस्क रिपोर्ट। उत्तर प्रदेश के मेरठ से हिंदू मुस्लिम भाईचारे की एक मिसाल सामने आई हैं, जहां एक मुस्लिम परिवार ने शिव मंदिर के लिए अपनी जमीन दान कर दी है। मेरठ के इस मुस्लिम परिवार ने सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश की है। दिवाली के शुभ अवसर पर इस मुस्लिम परिवार ने अपनी पुश्तैनी जमीन शिव मंदिर के नाम कर दी है। परिवार वालों का कहना है कि सन 1976 में उनके दादा कासिम अली द्वारा मौखिक रूप से 200 गज जमीन इंद्र नगर प्रथम ब्रह्मपुरी में शिव मंदिर के नाम दी गई थी और दिवाली के मौके पर इस मुस्लिम परिवार ने जमीन का वसीयतनामा शिव मंदिर के नाम कर दिया।

बता दे कि बॉलीवुड एक्टर काशिफ अली के दादा जी द्वारा इस जमीन को शिव मंदिर के नाम मौखिक रूप से दिया गया था। काशिफ अली के दादा के निधन के बाद दिवाली के मौके पर उनके चाचा जी हाजी आसिफ अली द्वारा जमीन को शिव मंदिर के नाम कर दिया गया, जिसके लिए कमेटी भी बनाई गई है और मंदिर के निर्माण में हरसंभव योगदान का आश्वासन दिया गया है। बता दें कि सामाजिक सद्भाव से भरे हुए इस कदम को लेकर काशिफ अली के परिवार की प्रशंसा पूरे शहर भर में हो रही है। ज्ञात हो काशिफ अली के दादा द्वारा मस्जिद के लिए भी जमीन दान की गई है। वही मंदिर कमेटी जमीन दान से संबंधित शीला पीठ लगाने की तैयारी भी कर रही है।

वहीं काशिफ अली द्वारा किए गए इस कार्य को लेकर हिन्दू समाज के लोगों और शिव मंदिर समिति के लोगों ने काशिफ अली, उनके पिता साजिद अली और चाचा हाजी आसिम अली को शॉल ओढ़ाकर उनको सम्मानित किया। जहां एक ओर हिंदू मुस्लिम के बीच में आए दिन झगड़े की खबर सामने आती रहती है, उसी बीच मेरठ के इस मुस्लिम परिवार द्वारा उठाए गए सांप्रदायिक सौहार्द के कदम को देख हर कोई उनकी प्रशंसा करता नजर आ रहा है।

सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल, मुस्लिम परिवार ने शिव मांदिर के नाम की अपनी जमीन


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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