दूसरी शादी से कर रही थी इंकार तो ससुराल वालों ने विधवा बहु की काट दी नाक और जुबान

Gaurav Sharma
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जैसलमेर, डेस्क रिपोर्ट। राजस्थान से एक दिल दहलाने वाला मामला सामने आया है जहां एक विधवा महिला की सिर्फ इसलिए नाक और जुबान काट दी गई क्योंकि उसने दूसरी शादी करने से मना कर दिया था। मामला राजस्थान के जैसलमेर जिले के साकड़ा थाना क्षेत्र का है, जहां एक 28 साल की विधवा बहु की जुबान और नाक उसके ससुराल वालों द्वारा काट दी गई क्योंकि उसने दूसरी शादी करने से इनकार कर दिया था।

वही मामले की जानकारी लगते ही पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपी जानू खान को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं बाकी आरोपियों की तलाश जारी है। इधर पीड़िता को इलाज के लिए जोधपुर रेफर किया गया है, जहां उसकी हालत स्थिर बनी हुई है। पूरी वारदात की पुष्टि साकड़ा थाना के स्टेशन हाउस ऑफिसर कांता सिंह ने की है।

पुलिस ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि साकड़ा ब्लॉक की जगीरो के रहने वाले बशीर खान ने मंगलवार को मामले की शिकायत की थी। जहां बशीर ने बताया था कि उसकी बहन गुड्डी की शादी 6 साल पहले कोजे खान से हुई थी, लेकिन शादी के एक साल बाद ही कोजे खान की मौत हो गई थी। कोजे खान की मौत के बाद उसकी बहन गुड्डी ससुराल वालों के साथ ही रह रही थी। कोजे की मौत के बाद उसके घरवालों ने गुड्डी को दूसरी शादी करने के लिए मजबूर करना शुरू कर दिया, लेकिन गुड्डी ने दूसरी शादी करने से इंकार कर दिया।

बशीर ने आरोप लगाते हुए बताया कि मंगलवार उसके घर दोपहर को गुड्डी के ससुरालवाले आ धमके और गुड्डी के शादी से इंकार करने के कारण उस पर हमला कर दिया और उसकी नाक और जुबां काट दी। साथ ही उसकी दाहिना हाथ भी तोड़ दिया। वहीं गुड्डी को बचाने आई मां बिस्मिल्ला को भी आरोपियों ने घायल कर दिया।

पूरे मामले को लेकर एसएचओ कांता सिंह ने कहा कि मामला दर्ज करने के बाद उन्होंने मुख्य आरोपी जानू खान को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि बाकी आरोपियों की तलाश जारी है। पुलिस के अनुसार आरोपियों की पहचान जानू खान, दुल्ले खान, इकबाल खान, हसम खान, साली, फारुख खान, आंबे खान, लड्डू खान, मनु खान, अनवर खान, सलीम खान, नेमटे खान और नेबे खान के रूप में की गई है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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