इस हाईकोर्ट का Love Jihad पर अटैक, कहा- अपना जीवन साथी चुनना सभी का है फंडामेंटल राइट

Gaurav Sharma
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प्रयागराज,डेस्क रिपोर्ट। लव जिहाद (love jihad) के खिलाफ (against) जहां एक ओर देश की कई राज्य सरकार कानून (law) लाने की बात कर रही है, वही उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) ने भी इसके खिलाफ कानून( law) बनाने की पूरी तैयारी कर ली है। इसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने इसको लेकर एक अहम फैसला सुनाया (verdict) है। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा है कि अपना जीवन साथी चुनना सभी का फंडामेंटल राइट ( fundamental Right) है, चाहे वो सेम सेक्स (same sex) का हो या विपरीत सेक्स ( opposite sex) का।

यह फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुशीनगर के रहने वाले सलामत अंसारी (Salamat Ansari) और प्रियंका खरवार (Priyanka kharwar) की सुनवाई (hearing) करते वक्त दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि कानून एक बालिग स्त्री या पुरुष ( Adult) को अपना जीवनसाथी (life partner) चुनने का पूरा हक देती है। बालिग दंपत्ति (adult couple) के शांतिपूर्ण जीवन (peaceful life) में हस्तक्षेप करने का अधिकार (right) किसी को नहीं है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी राज्य को दो बालिग लोगों के संबंध को लेकर आपत्ति (objection) जताने का भी कोई अधिकार नहीं है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस फैसले को सलामत अंसारी और 4 अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका (petition) के तहत सुनाया है।

बता दें कि 19 अगस्त 2019 में प्रियंका खरवार ने सलामत अंसारी से शादी कर ली थी। शादी के बाद प्रियंका ने इस्लाम कबूल कर लिया था, जिसके बाद वह आलिया बन गई थी। वहीं इसी के खिलाफ प्रियंका के पिता ने सलामत के खिलाफ एफआईआर दर्ज (FIR) कराई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर सलामत भगा कर ले गया और उससे शादी रचा ली। जिसके बाद सलामत अंसारी पर पोक्सो(POCSO) एक्ट के तहत मामला भी दर्ज किया गया है।

मामले की सुनवाई कर रही है जस्टिस पंकज नकवी (Justice Pankaj Nakwi) और जस्टिस विवेक अग्रवाल (Justice Vivek Agrawal) की बेंच ने कहा कि प्रियंका खरवार उर्फ आलिया 21 साल की है। उनकी उम्र को लेकर कोई विवाद नहीं है । कोर्ट ने कहा कि प्रियंका के 21 साल होने के तहत पोक्सो एक्ट दर्ज करने का सवाल ही नहीं उठता।
वही कोर्ट ने आगे कहा कि अदालत प्रियंका खरवार और सलामत अंसारी को हिंदू मुस्लिम के रूप में नहीं देखती, बल्कि उन्हे दो बालिग इंडिविजुअल के तौर पर दिखती है।

वहीं अदालत ने सलामत अंसारी के खिलाफ दर्ज किया गया पोक्सो एक्ट को भी रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा कि यह प्रियंका की पूर्णता मर्जी है कि वह किस से मिलना चाहती है और किससे नहीं। वही कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि प्रियंका खरवार अपने परिवार के साथ सम्मान शिष्टाचार के साथ व्यवहार करें।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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