भोपाल निगम ने जुर्माना तो बढ़ा दिया , लेकिन शहर में नहीं है पर्याप्त टॉयलेट

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। भोपाल नगर निगम (Bhopal City Corporation) ने खुले में टॉयलेट (toilet) पर रोक लगाने के लिए जुर्माने (fine) की राशि 100 से बढ़ाकर ₹1000 तो कर दी है, लेकिन अपनी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना भूल गया है। शहर के सबसे ज्यादा भीड़ वाले इलाके जैसे बाजार, चौराहा और घनी बस्ती में पर्याप्त यूरिनल और टॉयलेट्स की व्यवस्था ही नहीं है। इतना ही नहीं 1 साल पहले भोपाल निगम के द्वारा लगाए गए पीले रंग के स्टील के यूरिनल की स्थिति इतनी खराब है कि यूरिनल के अंदर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। यूरिनल की हालत देखकर लगता है कि निगम कर्मचारियों ने इन्हें लगाने के बाद इनकी तरफ मुड़ कर ही नहीं देखा है । हैरानी की बात यह है कि पिछले कई सालों में निगम की टीमों ने जिन जगहों पर खुले में शौच जा रहे लोगों पर स्पोर्ट फाइन (Spotfine) लगाया है, उन जगहों में से ऐसी बहुत सी जगह है जहां 2 किलोमीटर तक के दायरे में कोई पब्लिक टॉयलेट (public toilet) है ही नहीं और ना ही कोई यूरिनल (urinal)।

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खुले बहता है टॉयलेट का वेस्ट

भोपाल  शहर में अन्ना नगर इलाके में निगम ने लोगों की सुविधा के लिए टॉयलेट लगवाए हैं, लेकिन इन टॉयलेट से जो गंदगी डिस्चार्ज होती है उसके लिए कोई नाली या सीवेज लाइन की व्यवस्था ही नहीं की गई है। ऐसे में टॉयलेट का गंदा पानी खुले में ही मैदान में पड़ा रहता है। यह हाल सिर्फ एक जगह का नहीं है बल्कि शहर में लगाए गए ज्यादातर यूरिनल इसी हाल में है।

टंकी तो है लेकिन पानी नहीं

भोपाल  नगर निगम ने शहर में 200 से ज्यादा यूरिनल बाजारों, सड़कों के किनारे, चौक चौराहों और भीड़ वाले इलाकों में रखे हैं। शहर के 19 जून के तहत हर जोन में 10 यूरिनल लगवाए गए हैं। इसमें पानी की टंकी भी लगाई गई है, लेकिन सिर्फ पानी की टंकियां ही रखी हुई है, उसमें पानी भरा ही नहीं जाता। लिहाजा यूरिनल हमेशा गंदगी से भरे रहते हैं।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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