नई दिल्ली,डेस्क रिपोर्ट। चाहे ज्वेलरी का एड (jwellery add) हो या घर की रोनक बढ़ाने वाले पेंट (paint) का एड हो, त्योहार का मौसम आते ही विज्ञापनों (advertisements) का अंबार आ गया है। इसी कड़ी में देश के फेमस ज्वेलरी ब्रांड तनिष्क (famous jwellery brand tanishq) ने भी अपनी लेटस ज्वेलरी का विज्ञापन जारी किया था, लेकिन कुछ घंटे बाद ही तनिष्क ( tanishq) को अपना विज्ञापन वापस लेना पड़ा।
दरअसल, तनिष्क ( tanishq) के नए एड में एक हिंदू युवती को दिखाया गया है, जिसकी मुस्लिम परिवार में शादी हो रही है। एड में महिला की गोदभराई का कार्यक्रम दिखाया गया है। एड में मुस्लिम परिवार हिंदू रीति रिवाजों के हिसाब से सारी रस्में अदा करता है। एड के आखिर में एक गर्भवती महिला अपनी सास से पूछती है कि ‘मां ये रस्म तो अपने घर में होती ही नहीं है न?’ जिसपर उसकी सास ने जवाब दिया कि ‘पर बिटिया को खुश रखने की रस्म तो हर घर में होती है न?’ एड फिल्म में हिंदू-मुस्लिम परिवार की एकता को दिखाया गया है।
वहीं इस एड के सामने आने के बाद तनिष्क (tanishq) पर लोगों का गुस्सा फूट गया और ट्वीटर पर #BoycottTanishq (#BoycottTanishq trending twiiter) ट्रेंड करने लगा। जिसके बाद तनिष्क (tanishq) ने अपना एड वापस ले लिया। लोगों ने हिंदूं-मुस्लिम के बारे में बात करते हुए इसे पसंद नहीं किया और पूरे एड को लव-जिहाद (love jihad) को बढ़ावा देने इल्जाम लगा दिया। देखते ही देख ट्वीटर पर तनिष्क के खिलाफ मुहिम शुरु हो गई और लोग तनिष्क को बायकॉट करने के साथ उसके गहने नहीं खरीदने की बात करने लगे।
Please @TanishqJewelry also show an ad where a muslim woman celebrates eid with her hindu in-laws.
Also hire few dozen exxtra security guards around your showrooms and offices because that offense generally tends to become deadly. #BoycottTanishqhttps://t.co/ImACJ3mFEs
पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।
इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।