आचार्य विद्यासागर महाराज के साथ अभद्र व्यवहार और ओवरटेक करने वाला कार चालक गिरफ्तार, जमानत पर हुआ बरी

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। जैन धर्म के सबसे बड़े मुनि श्री आचार्य विद्यासागर महाराज के काफिले के करीब से गुजरने वाली गाड़ी को बीती रात पुलिस ने जप्त कर लिया है। साथ ही गाड़ी चला रहे चालक को पकड़कर पुलिस ने डबल चौकी थाने भेज दिया है। पूरे मामले को लेकर डबल चौकी प्रभारी का कहना है कि आरोपी पर जमानती धारा के तहत केस दर्ज किया गया था, जिसके चलते उसे जमानत पर छोड़ दिया गया है।

दरअसल अपने संग और 150 से ज्यादा श्रद्धालुओं के साथ आचार्य विद्यासागर महाराज निवार की ओर विहार कर रहे हैं। इसी दौरान बीते दोपहर एक तेज रफ्तार गाड़ी आचार्य विद्यासागर महाराज के काफिले के काफी करीब से गुजरी। अपनी ओर गाड़ी को गुजरता देख आचार्य श्री सहित चार मुनियों को एक तरफ हटाना पड़ा। वहीं चालक ने आचार्य श्री और मुनियों के साथ अभद्र व्यवहार करते हुए खातेगांव की तरफ निकल गया।

आचार्य विद्यासागर महाराज के साथ अभद्र व्यवहार और ओवरटेक करने वाला कार चालक गिरफ्तार, जमानत पर हुआ बरी

बता दें कि इस घटना में किसी को कोई चोट नहीं आई है। वहीं घटना के बाद श्रद्धालुओं ने मामले को गंभीरता से लेते हुए डबल चौकी थाने पर वाहन चालक के खिलाफ केस दर्ज कराया। जिसके बाद पुलिस ने बुधवार देर रात ही खातेगांव के सावरकर मार्ग से आरोपी को गिरफ्त में लेकर और उसकी कार को जब्त कर डबल चौकी पुलिस को सुपुर्द कर दिया।

बता दें कि आचार्य विद्यासागर महाराज के काफिले को ओवरटेक करने वाला चालक अपने रिश्तेदार के घर खातेगांव पहुंचा था, जहां उसके घर के बाहर उसकी कार खड़ी हुई थी। वही रात को गश्ती कर रहे एसआई केआर राठौर और उनकी टीम ने कार को बाहर खड़ा देखा और उसके नंबर का मिलान किया तो वही कार निकली, जो आचार्य श्री के करीब से निकली थी, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कार को जब्त कर लिया और आरोपी को थाने ले आई।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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