Farmer’s Protest : संस्कारधानी में भी केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन, बिल वापस लेने की कर रहे मांग

Gaurav Sharma
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जबलपुर, संदीप कुमार। कृषि बिल के विरोध में जहां लाखों किसान देश की राजधानी दिल्ली में डटे हुए हैं तो वही वह किसान जो कि राष्ट्रव्यापी किसान आंदोलन (Farmer’s Protest )में शामिल नहीं हो पाए उन्होंने स्थानीय स्तर पर कृषि बिल के विरोध में अपना प्रदर्शन किया और सरकार से मांग की है कि वह किसी भी कीमत पर कृषि बिल (Agriculture Bill) को वापस ले अन्यथा पूरे देश का किसान सड़कों पर उतरने को मजबूर हो जाएगा।

मझौली से 100 किलोमीटर पैदल यात्रा कर जबलपुर पहुंचे सैकड़ों किसान

कृषि बिल कानून का विरोध संस्कारधानी जबलपुर (jabalpur) में भी देखा जा रहा है। जहां करीब 5 दिन पहले मझौली तहसील से शूरु हूई हजारों किसानों की पैदल यात्रा आज जबलपुर कलेक्ट्रेट पहुंची और अपर कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया।  साथ ही केंद्र सरकार (Central Government) को चेताया है कि अगर कृषि बिल को सरकार वापस नहीं लेती है तो आने वाले समय में सिर्फ पैदल यात्रा ही नहीं बल्कि प्रदेश की राजधानी भोपाल से लेकर दिल्ली तक हजारों लाखों के साथ सरकार के खिलाफ प्रदर्शन (Protest) करेगी।

भारतीय किसान संगठन के बैनर तले जुटे हजारों किसान

कृषि बिल कानून को लेकर मझौली तहसील में करीब 5 दिन पहले सैकड़ों किसान ने जुड़कर पैदल यात्रा शुरू की थी, जिसको बाद में भारतीय किसान संगठन का भी सहयोग मिला और सैकड़ों की संख्या में शुरू हुई किसानों की पैदल यात्रा हजारों में बदल गई। 5 दिन बाद जबलपुर कलेक्ट्रेट पहुंचे किसानों ने साफ लफ्जो में केंद्र सरकार को चेतावनी दी है।

भारी पुलिस बल रहा तैनात

मझौली तहसील से गुरुवार की सुबह शुरू हुई किसानों की पैदल यात्रा 5 दिन बाद आज जब जबलपुर पहुंची तो कलक्ट्रेट के आस-पास के इलाके को छावनी में बदल दिया, भारी पुलिस बल के बीच किसानों ने अपना विरोध प्रदर्शन किया और अपर कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा, हालांकि किसानों का यह विरोध पूरी तरह से शांतिमय रहा। अब देखना यह होगा कि मध्य प्रदेश की संस्कारधानी मैं किसानों का हुआ है प्रदर्शन आने वाले समय में कितना सफल रहेगा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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