जबलपुर पुलिस ने पेश की मानवता की मिसाल, हर कोई कर रहा तारीफ, देखें वीडियो

Gaurav Sharma
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जबलपुर, संदीप कुमार। जबलपुर के चंदवा थाना अंतर्गत ग्राम गोगरी में आज सुबह करीब 50 मजदूरों से भरा एक पिकअप वाहन अचानक ही पलट गया। इस वाहन के पलटने से करीब 35 लोग घायल हो गए। आनन-फानन में सभी घायलों को इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज पुलिस के द्वारा लाया गया।

मेडिकल कॉलेज पहुंचने पर घायलों की संख्या अधिक होने के कारण स्टेचर कम पड़ गए थे। जिसके बाद थाना चरगवां में पदस्थ सहायक उप निरीक्षक संतोष सेन ने अपने पुलिसकर्मी साथी एलआर पटेल, आरक्षक अशोक, राजेश, अंकित के साथ स्वयं घायलों को कंधे एवं गोद में लेकर मेडिकल कालेज की कैजुअल्टी तक दौड़ लगा दी। पुलिस के कंधे में घायलों की देख ये तस्वीर जो देखता बस देखता ही रह गया ।

https://twitter.com/mpbreakingnews/status/1328638319102627841

 

Asi संतोष सेन  का टूट चुका है कंधा

चरगवां थाना में पदस्थ सहायक उपनिरीक्षक संतोष सेन को वर्ष 2006 में जिला नरसिंहपुर में पदस्थापना के दौरान पवन यादव नाम के बदमाश ने दाहिने कंधे में गोली मार दी थी। जिससे सहायक उप निरीक्षक संतोष सेन का दाहिना हाथ ठीक तरह से काम नहीं करता है, इसके बाद भी जब संतोष ने देखा कि मेडिकल कॉलेज में स्ट्रेचर की कमी आ गई है, तो वह अपने कंधे की परवाह किए बिना ही मदद में जुट गए।

पिकअप वाहन चालक और मालिक के खिलाफ मामला दर्ज

शुरुआती जानकरी में पता चला है कि पिकअप वाहन क्रमांक एमपी 20 जीआर 9077 ग्राम कोहला की है, जिसका चालक मौके से भाग गया है। इधर पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बहुगुणा ने मानवता की मिसाल पेश करने वाले सहायकस उप निरीक्षक एवं आरक्षकों को पुरूस्कृत करने की घोषणा की है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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