अधिकारियों की सांठगांठ से धड़ल्ले से बिक रहा अमानक बीज , किसानों को हो रहा दोहरा नुकसान

खंडवा, सुशील विधानी। बाजारों में धड़ल्ले से अमानक स्तर का खाद- बीज बिक रहा है। वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा इस तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हर वर्ष खाद बीजों के सैंपल ले लिए जाते हैं, लेकिन उसके बाद की प्रकिया की जानकारी कागजों में ही कैद होकर रह जाती है। इसमें कितने सैंपल फेल हुए यह जानकारी विभाग द्वारा आज तक जारी नहीं की गई। इसी का फायदा खाद बीज विक्रय करने वाले व्यापारी उठा रहे, जिससे किसान भगवान भरोसे खेती करने को मजबूर हैं। जिले की ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर दुकानों में किसानों को कच्चे बिल पर ही बीज-खाद बेचा जा रहा है।अगर फसल अमानक बीज के कारण खराब होती है, तो किसान को मुआवजा कहां और कौन देगा। उपभोक्ता न्यायालय में भी जीएसटी बिल ही मान्य होगा। इस तरह यहां की व्यवस्था जिम्मेदारों की सांठगांठ से चलती आ रही और इसका खामियाजा किसान को भुगतना पड़ रहा है।

लाइसेंस निरस्त होने पर भी बेचा जा रहा माल


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।