अधिकारियों की सांठगांठ से धड़ल्ले से बिक रहा अमानक बीज , किसानों को हो रहा दोहरा नुकसान

Gaurav Sharma
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खंडवा, सुशील विधानी। बाजारों में धड़ल्ले से अमानक स्तर का खाद- बीज बिक रहा है। वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा इस तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हर वर्ष खाद बीजों के सैंपल ले लिए जाते हैं, लेकिन उसके बाद की प्रकिया की जानकारी कागजों में ही कैद होकर रह जाती है। इसमें कितने सैंपल फेल हुए यह जानकारी विभाग द्वारा आज तक जारी नहीं की गई। इसी का फायदा खाद बीज विक्रय करने वाले व्यापारी उठा रहे, जिससे किसान भगवान भरोसे खेती करने को मजबूर हैं। जिले की ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर दुकानों में किसानों को कच्चे बिल पर ही बीज-खाद बेचा जा रहा है।अगर फसल अमानक बीज के कारण खराब होती है, तो किसान को मुआवजा कहां और कौन देगा। उपभोक्ता न्यायालय में भी जीएसटी बिल ही मान्य होगा। इस तरह यहां की व्यवस्था जिम्मेदारों की सांठगांठ से चलती आ रही और इसका खामियाजा किसान को भुगतना पड़ रहा है।

लाइसेंस निरस्त होने पर भी बेचा जा रहा माल

कृषि अधिकारी की सांठगांठ से खंडवा स्थित ग्राम उदय नामक दुकानकों पर अमानक बीच पाने पर दुकान लाइसेंस निरस्त कर दिया गया था परंतु उसी दुकान पर वही अमानक बीच अभी भी धड़ल्ले से बिक रहा है। जिसमें खंडवा के अधिकारी सहयोग देकर माल जब्त ना कर बिना उसे बेचकर खपाने में उसका सहयोग प्रदान कर रहे हैं। ग्रामोदय इंदौर रोड स्थित कृषि सहायता केंद्र एवं बीज विक्रय केंद्र के नाम से स्थित है जिस पर सहायक उपनिरीक्षक आरएस गुप्ता द्वारा अमानक बीच पाने पर लाइसेंस प्रोपराइटर रविंद्र चौहान के नाम से प्रोपराइटरशिप लाइसेंस निरस्त किया है। परंतु उसी के द्वारा अभी भी उसी दुकान पर माल बिलिंग द्वारा बिक रहा है। सहायक उपनिरीक्षक गुप्ता द्वारा बात करने पर पता लगा है कि माल अभी उनके पास ही रखा है, हमने सिर्फ उन्हें कहा था कि वो वहां से हटवा लिया जाएगा जो वह हटा नहीं पाए हैं।

सरकार के नियमों की धड़ल्ले से हो रही अनदेखी

जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार के नए निर्देश के अनुसार बीएससी ग्रेजुएशन की डिग्रीधारक ही कीटनाशक बेच सकते हैं। वहीं खंडवा जिले के गांव में शहरों में अधिकांश दुकानदार दसवीं पास भी नहीं है, लाइसेंस धारियों का नाम ऑनलाइन होने के पारदर्शी रखा गया है। इसके बावजूद कृषि विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से खुलेआम कीटनाशक और बीज की दुकानें संचालित हो रही है। इस कारण किसानों को नकली कीटनाशक और बीज खरीदना पड़ रहा और किसान ठगी का शिकार होते जा रहे। सूत्रों की मानें तो खंडवा जिले के ग्रामीण क्षेत्र में बिना लायसेंस के भी दुकानदार खाद-बीज के साथ दवाई बेच रहे हैं।
किसानों को अमानक बीज बेचकर दोहरा नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कठोर कानून बनाए जाने की मांग किसान संगठनों के द्वारा की जा रही है।

अधिकारी कार्रवाई पर जिम्मेदार मौन

खंडवा जिले में कई वर्षों से अधिकारियों की सांठगांठ से किसानों के साथ धोखाधड़ी का खेल जारी है। नकली बीज नकली कीटनाशक बड़े पैमाने पर बारिश के बाद से ही ग्रामीण क्षेत्रों में बोवनी का दौर शुरू हो जाता है और किसानों को ठगने का खेल भी शुरू हो जाता है। मगर जो किसान अपने खेत में बीज व कीटनाशक डाल रहे उसके संबंध में जानकारी ही नहीं मिल पाती। इस कारण अमानक खाद-बीज और दवाइयों का डर भी उनके मन में बैठा रहता है। इसकी आड़ में नकली सामग्री खुलेआम बेची जा रही है। यह सब कुछ अधिकारियों के संरक्षण में चलता है लेकिन खंडवा जिले के अधिकारी फील्ड का बहाना बनाकर केवल अपने केबिन में कागजों की खानापूर्ति करते रहते हैं।


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