पथरिया की सड़कों पर तालाब जैसे हालात, बतख के हो रहे मजे

Gaurav Sharma
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दमोह, गणेश अग्रवाल। जिले से अन्य जिलों की ओर जाने वाले रास्ते और दमोह के अंदर अनेक नगर और कस्बाई इलाके इन दिनों खराब सड़कों से जूझ रहे हैं। बारिश के पहले भी यह सड़कें खराब हो चुकी थी, वहीं बारिश ने और कसर निकाल कर रख दी, जिससे अब सड़कें तालाब बनती नजर आ रही हैं। दमोह जिले के पथरिया में किसी तालाब नुमा सड़क के गड्ढों में बत्तख तैरती हुई नजर आई।

दरअसल, जिले के पथरिया की सड़कें इन दिनों तालाब नुमा नजर आ रही हैं। थोड़ी सी बारिश में ही सड़कों के गड्ढों में तालाब जैसा पानी भर जाता हैं और इन गड्ढों में बत्तख तालाब जानकर तैरती हुई भी नजर आ रही हैं। यह बतख मूलतः तालाब में तैरती है, पोखर में तैरती है, लेकिन जब सड़क पर ही तालाब और पोखर जैसे गड्ढे बन जाएं तो उन में तैरने में क्या हर्ज है।

 

ऐसा ही एक वीडियो सामने आया है, जिसमें जिम्मेदारों को मुंह चिढ़ाती यह बतख सड़क के गड्ढों में तैर कर जिम्मेदारों को अपनी जिम्मेदारी का आभास करा रहे हैं। इसके बावजूद भी यदि यहां की सड़कों में कोई सुधार नहीं किया गया तो निश्चित ही कुंभकरण निद्रा की बात कहीं जाएगी.


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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