भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में अपनी मांगों (Demands) को लेकर सभी प्राइवेट शैक्षणिक संस्थान (Private Educational Institutions) सरकार के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। प्राइवेट शैक्षणिक संस्थानों की मांग है कि जल्द से जल्द स्कूल और कॉलेज खोलने (Open School And Colleges) का निर्णय लिया जाए, लेकिन सरकार द्वारा अभी तक इसको लेकर कोई निर्णय (Decision) नहीं लिया गया है, जिसके कारण निजी शैक्षणिक संस्थान ने 15 दिसंबर यानी कि कल स्कूल कॉलेज बंद (close) रखने का फैसला किया है। कल सभी निजी स्कूल और कॉलेजों में किसी भी तरह का ना तो कोई काम होगा ना ही ऑनलाइन क्लासेस (Online Classes) संचालित कर पढ़ाई की जाएगी।
कल होने वाले बंद को लेकर एसोसिएशन ऑफ अन-ऐडड प्राइवेट स्कूल मध्य प्रदेश (Association of Un-Aided Private Schools Madhya Pradesh) के उपाध्यक्ष बताते हैं कि अपनी मांगों के लिए पहले 14 दिसंबर को सीएम शिवराज के आवास को घेरने का निर्णय लिया गया था, लेकिन बाद में सरकार को थोड़ा और वक्त देते हुए इस फैसले को वापस ले लिया गया। अब कल यानी कि मंगलवार को सारे निजी स्कूल और कॉलेज को बंद रखा जाएगा और अगर मांग पूरी नहीं होती है तो 16 दिसंबर को प्रदर्शन भी किया जाएगा।
बता दें कि 14 और 15 दिसंबर को घोषित विरोध प्रदर्शन में प्राइवेट स्कूल डायरेक्टर्स मध्य प्रदेश के पदाधिकारियों द्वारा थोड़ा हेरफेर किया गया है। नए कार्यक्रम के अनुसार अगर सोमवार तक सरकार स्कूल खोलने के संबंध में कोई आदेश जारी नहीं करती है तो 15 दिसंबर को मध्य प्रदेश के सभी स्कूल कॉलेजों में ऑनलाइन क्लासेस संचालित नहीं की जाएंगी। इसके साथी ही 16 दिसंबर को भोपाल के यादगार-ए- शाहजहानी पार्क में प्रदेश के सभी शिक्षक संचालक छात्र और उनके पालकों द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया जाएगा और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा।
इन मांगों के चलते किया जा रहा है प्रदर्शन
- सरकार द्वारा 31 मार्च 2021 तक पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा के स्कूल बंद रखने का निर्णय लिया गया है, जिसे तत्काल वापस लेने की मांग की जा रही है।
- केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों के मुताबिक नौवीं कक्षा से लेकर बारहवीं के स्कूल तुरंत खोले जाए। वही कक्षा पहली से आठवीं के सभी स्कूल बंद होने के चलते कक्षाएं खाली पड़ी हुई हैं, इसीलिए शारीरिक दूरी के नियम का पालन करते हुए विद्यार्थियों को कक्षा में बैठाया जा सकता है। इसी तरह कक्षा नौवीं से बारहवीं तक के सभी विद्यार्थियों को हर दिन स्कूल भी बुलाया जा सकता है।
- रेगुलर स्कूल के साथ ही ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन करने में विद्यालयों को काफी परेशानी हो रही है और दोनों का साथ में संचालन करना भी संभव नहीं हो पा रहा है, इसलिए यह वैधता समाप्त की जाए और पालक उसे लिखित में सहमति लेने की आवश्यकता को भी शिथिल किया जाए क्योंकि बिना अनुमति के छात्र वैसे भी स्कूल नहीं आ सकेंगे।
- दिसंबर के महीने में 9वीं से लेकर 12वीं की कक्षाओं का सफलतापूर्वक संचालन हुआ है, जिसके चलते अब छठवीं से आठवीं तक के स्कूल भी 4 जनवरी 2021 से खोल दिए जाएं। वही कक्षा पहली से लेकर पांचवी तक ऑनलाइन क्लासेस यथावत चालू रहेंगी। साथ ही इन कक्षाओं को शुरू करने या ना करने का निर्णय 15 जनवरी के बाद लिया जाए। कक्षा छठवीं से 12 वीं की कक्षाओं के सफलतापूर्वक संचालन के प्रभाव का अध्ययन करने के बाद कक्षा पहली से पांचवी तक को खोले जाने का निर्णय लिया जाए।
- कोरोना काल के चलते सारे प्राइवेट स्कूल ऑनलाइन टेस्ट और परीक्षाएं ले रहे हैं, इसलिए छात्रों की अगली कक्षा में प्रोन्नति ऑनलाइन और ऑफलाइन असाइनमेंट एवं असेसमेंट पर आधारित हो। सिर्फ प्रोजेक्ट वर्क के आधार पर या जनरल प्रमोशन किसी भी कीमत पर ना दिया जाए।
- शिक्षा सरकार के लिए हमेशा से ही प्राथमिक विषय रहा है, इसलिए सभी शिक्षण संस्थानों के बिजली बिल उपयोग के अनुसार लेते हुए पुराने बिलों में समायोजित किए जाएं। वही भू-व्यावर्तन टैक्स, संपत्ति टैक्स स्कूलों के वाहनों का रोड टैक्स और प्रवेश शुल्क 2020-21 के लिए शून्य किया जाए।
- उच्च न्यायालय के द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार सभी विद्यालय शिक्षण शुल्क के साथ ही परीक्षा शुल्क लेने के भी अधिकारी हैं। इसलिए परीक्षा शुल्क लेने की छूट दी जाए। वही न्यायालय के नियम के अनुसार नियमित स्कूल खुलने पर बाकी के शुल्क जैसे विकास शुल्क वार्षिक शुल्क ट्रांसपोर्ट फीस आदि भी उपयोगिता के अनुसार लेने की अनुमति दी जाए जिससे आदेश में समाहित किया जाए।
- राज्य सरकार और माननीय उच्च न्यायालय के अनुसार जो भी पालक अपने बच्चों का शिक्षण शुल्क जमा नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें अगली कक्षा में किसी भी हाल में प्रमोट ना किया जाए।
- प्राइवेट स्कूल संचालकों के साथ मिलकर सरकार चर्चा कर इस विषय पर मंथन करें, जिससे प्रदेश में विद्यार्थियों को किसी भी तरह से अकादमिक क्षति ना हो