Sawan Pradosh Vrat: शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को सावन महीने का दूसरा प्रदोष व्रत पड़ने वाला है। इस बार अधिक मास होने के चलते प्रदोष व्रत पढ़ने वाले हैं जिसमें से दो सावन और दो अधिक मास में है। दूसरा प्रदोष व्रत अधिक मास के शुक्ल पक्ष के रविवार को आ रहा है, जिसके चलते यह रवि प्रदोष व्रत कहलाएगा।
इस व्रत को रखकर भगवान शिव की पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। बताया जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के असाध्य रोग भी दूर हो जाते हैं और भोलेनाथ से आरोग्य रहने का आशीर्वाद देते हैं। इस व्रत के दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग भी पड़ रहा है, जो विशेष फलदायी है।
जानें कब है सावन प्रदोष व्रत
सावन अधिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 30 जुलाई को पड़ रही है और इस दिन सुबह 10:34 से त्रयोदशी व्रत प्रारंभ होगा जो 31 जुलाई की सुबह 7:26 मिनट तक चलेगा। तिथि दूसरे दिन तक है लेकिन इसका आरंभ 30 तारीख से है इसलिए इसे मुख्य रूप से इसी दिन रखा जाएगा।
प्रदोष व्रत मुहूर्त
जो लोग प्रदोष व्रत करने जा रहे हैं वह 2 घंटे से ज्यादा समय शिव पूजन कर सकते हैं। शाम 7:00 बज कर 14 मिनट से रात 9:19 तक पूजन का विशेष शुभ मुहूर्त है जिसमें व्रत धारी को पूजन अर्चन करना होगा।
सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग
सावन के दूसरे प्रदोष व्रत में सर्वार्थ सिद्धि योग पड़ रहा है और शिवजी का पूजन इसी समय में किया जाएगा। 30 जुलाई को रवि योग, इंद्र योग और सर्वार्थसिद्धि योग एक साथ बन रहे हैं। प्रातः काल से सुबह 6:34 तक इंद्र योग के रहने वाला है। इसके बाद वैधृति योग रहेगा। रवि योग की शुरुआत रात 9:32 से होगी जो अगले दिन 5 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।
इस दिन सिद्धि योग का मुहूर्त सुबह 5:41 से रात 9:32 तक है। यह सारे योग बहुत ही शुभ और विशेष फलदायी होते हैं। इस समय में किया गया हर कार्य सफल सिद्ध होता है और कोई परेशानी नहीं आती।
प्रदोष व्रत का महत्व
सावन में पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से शिवकृपा की प्राप्ति होती है और उत्तम स्वास्थ्य के साथ व्यक्ति को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। जो लोग किसी रोग से पीड़ित हैं उन्हें रवि प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। अगर व्रत कर पाना संभव ना हो तो भोलेनाथ की पूजा की जा सकती है। कोई अन्य व्यक्ति भी ऐसे लोगों के लिए व्रत रख सकता है। व्रत धारी व्यक्ति उसका पुण्य फल आपको दान कर सकता है। व्रत और पूजन से प्रसन्न होकर भोलेनाथ अपनी कृपा भक्तों पर बरसाते हैं।