Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण व्यक्ति थे, जिनका समय लगभग 4वीं से 3वीं सदी पूर्व माना जाता है। वे मौर्य साम्राज्य के सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के मंत्री और संगठनकार थे। चाणक्य का “अर्थशास्त्र” एक प्रमुख ग्रंथ है, जिसमें राजनीति, अर्थशास्त्र और युद्धकला के सिद्धांतों को विस्तार से वर्णन किया गया है। इस ग्रंथ में राजा के कर्तव्य, राज्य के प्रबंधन, राजनीतिक युद्ध और आर्थिक व्यवस्था के नियमों का विवेचन किया गया है। उनका योगदान भारतीय राजनीति, व्यापार, धर्म और समाज के विभिन्न पहलुओं में था। इसी कड़ी में आज हम आपको चाणक्य द्वारा बताए गए एक अध्याय के बारे में बताते हैं…
कमजोरी
आचार्य चाणक्य के अनुसार, हमें अपनी कमजोरियों को दूसरों के सामने प्रकट नहीं करना चाहिए। यह आपको नुकसान में डाल सकता है क्योंकि लोग आपकी कमजोरियों का फायदा उठा सकते हैं। साथ ही आपको कमजोर महसूस कराने की कोशिश कर सकते हैं।
समस्या
चाणक्य नीति यह सिखाते हैं कि हमें अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं करना चाहिए। दुखों और संकट को छिपाना बेहद जरूरी है। यह आपकी कमजोरी बन सकता है। जिसका लोग फायदा उठा सकते हैं।
पत्नी की बात
चाणक्य नीति के अनुसार, पति-पत्नी के रिश्ते में संवेदनशीलता, सम्मान और संवाद की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। खासकर पत्नी की बातों को नेगेटिव तरीके से सामने उजागर नहीं करना चाहिए, जिससे सिर्फ उनका अपमान होता है बल्कि रिश्ते को भी क्षति पहुंचा सकता है।
राज को रखें स्वंय तक
चाणक्य नीति में स्वार्थ, बुद्धिमत्ता और अपने मनोबल को सुरक्षित रखने की सलाह दी जाती है। इसलिए क्रोध में आकर अपनी बातों को उजागर नहीं करना चाहिए, जिससे खुद का अपमान होता है। साथ ही इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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