भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्दशी तिथि को आने वाली अनंत चतुर्दशी का हिंदू धर्म में बेहद खास महत्व है। इस दिन घर-घर में भगवान विष्णु की पूजा अनंत सूत्र के साथ की जाती है और गणपति बप्पा का भव्य विसर्जन भी होता है। यही वजह है कि यह तिथि धार्मिक आस्था और उत्सव दोनों का प्रतीक है।
2025 में अनंत चतुर्दशी का पर्व भक्तों के लिए खास रहने वाला है क्योंकि इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त और गणपति विसर्जन का समय बेहद अनुकूल माना जा रहा है। मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी पर पूजा करने और व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और हर संकट दूर हो जाता है।
अनंत चतुर्दशी 2025 (Anant Chaturdashi 2025)
1. अनंत चतुर्दशी का महत्व
अनंत चतुर्दशी भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन विशेष रूप से अनंत सूत्र धारण किया जाता है, जो रक्षा और सुख-समृद्धि का प्रतीक है। माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन की कठिनाइयां समाप्त होती हैं और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस दिन गणेश उत्सव का समापन भी होता है। घर-घर और पंडालों से गणपति बप्पा की शोभायात्रा निकलती है और धूमधाम से उनका विसर्जन किया जाता है। अनंत चतुर्दशी पर व्रत रखने से परिवार में शांति और सौहार्द बना रहता है।
2. पूजा विधि और नियम
अनंत चतुर्दशी की पूजा करने के लिए सुबह स्नान करके संकल्प लिया जाता है। घर या मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित कर अनंत सूत्र यानी लाल धागा पर 14 गांठ लगाकर उनकी पूजा की जाती है।
पूजन सामग्री में फूल, तुलसी दल, दीपक, मिठाई और फल चढ़ाना शुभ माना जाता है। पूजन के बाद पुरुष दाएं हाथ और महिलाएं बाएं हाथ में अनंत सूत्र बांधती हैं। अनंत चतुर्दशी व्रत कथा का पाठ करना इस दिन अनिवार्य माना गया है।
3. गणपति विसर्जन और शुभ मुहूर्त
अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणपति बप्पा का विसर्जन किया जाता है। भक्तजन पूरे उत्साह के साथ “गणपति बप्पा मोरया” के जयकारे लगाते हुए शोभायात्रा निकालते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 2025 में गणपति विसर्जन का शुभ मुहूर्त दिनभर रहेगा, लेकिन प्रातःकाल और अपराह्न का समय सबसे शुभ होगा। विसर्जन के समय मंत्रोच्चार और भजन-कीर्तन से माहौल भक्तिमय बन जाता है। मान्यता है कि विसर्जन के बाद बप्पा अगले साल फिर से भक्तों के घर आने का वचन देते हैं।





