Mahadhan Rajyog, Astrology, Akhand Samarajya Yog : ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के राशि परिवर्तन का खासा असर नजर आता है। जब गुरु बृहस्पति एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं ।तब कई महत्वपूर्ण योग और राजयोग का निर्माण होता है। गुरु बृहस्पति के गोचर से ज्ञान, बुद्धि, संतान, शिक्षा, समृद्धि और नेतृत्व कौशल पर असर पड़ता है। संतान, शिक्षा, धन और नेतृत्व कौशल पर असर पड़ता है। देव गुरु बृहस्पति अप्रैल महीने में उदय हुए हैं और 18 महीने तक एक राशि में गोचर करेंगे। गुरु उदय होने से कई राशियों को महाधन राजयोग का लाभ मिलेगा।
मेष
मेष राशि वाले के लिए गुरु का उदय काफी फलदायक माना जा रहा है। महाधन राजयोग से हर राशि वाले को हर इच्छा पूरी होती है। करियर में सफलता मिलती है। नौकरी में पदोन्नति और इंक्रीमेंट का लाभ मिलता है। कार्यस्थल पर सहयोग प्राप्त होगा। इस अवधि में बड़े लोगों से संपर्क बनने के आसार नजर आ रहे हैं।
कर्क
कर्क राशि वाले को महाजन राजीव का लाभ मिलेगा। जीवन में अनुकूल प्रभाव पड़ेंगे। राशि की कुंडली के नवम भाव में गुरु उदय होने से किस्मत का साथ मिलेगा। कर्क राशि वाले को महाधन राजयोग का लाभ मिलेगा। जीवन में अनुकूल प्रभाव पड़ेंगे। राशि की कुंडली के नवम भाव में गुरु उदय होने से किस्मत का साथ मिलेगा। सैलरी में वृद्धि होगा।
सिंह
सिंह राशि के जातकों को जीवन में सफलता मिलेगी प्रेम में वृद्धि होगी। धन आगमन के योग बनेंगे। इसके साथ ही संतान पक्ष से बड़ी खुशखबरी मिल सकती है। जमकर लाभ होगा। समझदारी से और साझेदारी से धन निवेश का लाभ कमाएंगे। समस्या का समाधान होगा। गौरव सम्मान का लाभ मिलेगा।
कुंडली में धन और महालक्ष्मी योग
धन योग का जातकों के आर्थिक जीवन पर प्रभाव पड़ता है। कुंडली में धन योग का निर्माण होने पर आर्थिक लाभ होने की संभावना रहती है। सामाजिक जीवन सुख देता है। समाज के सभी वर्गों का सम्मान उन्हें प्राप्त होता है। समस्याएं स्वयं शांत होने लगती है। साथ ही कर्ज और उधार लेने की समस्या उत्पन्न नहीं होती है।
चंद्रमा और मंगल एक ही भाव में विराजमान होते हैं तो महालक्ष्मी योग का निर्माण होता है। ग्रहों के धन भाव का स्वामी एकादश भाव यानी कि लाभ भाव में विराजमान हो और शुभ ग्रह की दृष्टि जातक के द्वितीय भाव पर पड़ रही हो, तब महालक्ष्मी योग का लाभ जातकों को मिलता है।
महालक्ष्मी योग के लाभ
- महालक्ष्मी योग से जातकों के जीवन में चमत्कारिक बदलाव नजर आते हैं।
- नौकरी पेशा के जातकों के जीवन और कैरियर में प्रगति देखने को मिलती है।
- व्यापार में तरक्की देखने को मिलती है।
- वही समृद्धि संपन्नता और भोग विलास का लाभ मिलता है।
धन योग का निर्माण
- यदि किसी जातक की कुंडली के प्रथम भाव का स्वामी लग्नेश के द्वितीय भाव यानी कि धन भाव के स्वामी के साथ संबंध स्थापित करता है तो धन योग का निर्माण होता है।
- जातक की कुंडली के द्वितीय भाव यानी कि धन भाव का स्वामी अष्टम भाव यानी की आयु और मृत्यु भाव में स्थित होता है तब विशेष स्थिति में धन योग का निर्माण होता है। ऐसे जातक कठिन परिश्रम से धन अर्जित करते हैं।
- वही किसी जातक की कुंडली के केंद्र भाव यानी कि पहले चतुर्थ सप्तम और दशम भाव में ग्रह स्थित होता है, तब राजयोग का निर्माण होता है। ऐसे जातक अपने जीवन में धन अर्जित करने में सफल रहते हैं और एक सुखी और विलासिता पूर्ण जीवन जीते हैं।
- किसी जातक की कुंडली में यदि व्यवसाय के कार्यों की ग्रह बुध आध्यात्मिक झुकाव के कारक ग्रह बृहस्पति और शुक्र के साथ युति करते हैं तो धार्मिक क्रियाकलापों से धन अर्जित होते हैं।
- कुंडली के पंचम भाव यानी कि संतान और शिक्षा के भाव का स्वामी यदि किसी जातक के दशम भाव और कर्म भाव स्थित होता है, तब संतान से धन प्राप्त होता है।
- जातक की कुंडली के सप्तम भाव यानी कि कर्म भाव में शनि, मंगल और राहु युति करते हैं, तब धन योग का निर्माण होता है।
धन योग का लाभ
- सकारात्मकता की भावना आपके अंदर प्रवेश करती है।
- काल को जानकर इसका अधिक से अधिक लाभ उठा सकते हैं।
- वहीं स्वर्णिम काल के दौरान जीवन के लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।