Shukra Yog 2023, Astrology : वैदिक ज्योतिष में ग्रहों के परिवर्तन का जातकों के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। शुक्र को पृथ्वी के सबसे निकटतम ग्रह माना जाता है। वही शुक्र को विलासिता और भौतिक सुख और आनंद से जुड़ा हुआ माना गया है। ऐसे में बुध के साथ मनोरंजन क्षेत्र में सफलता देते हैं जबकि शनि के साथ शुक्र कपड़े और वास्तुकला क्षेत्र में सफलता की कहानी गढ़ते हैं।
ग्रहों के उलटफेर से जातकों के जीवन में कई योग और महत्वपूर्ण राजयोग का निर्माण होता है। कई योग और राजयोग हैं। जिससे जातकों के भविष्य पर इसके महत्वपूर्ण और सकारात्मक परिणाम में जलाते हैं जबकि कई योग का कई जातकों के जीवन में नकारात्मक प्रभाव भी देखा जाता है।
शुक्र योग
इसी बीच आज हम बात करेंगे शुक्र ग्रह की। शुक्र को पृथ्वी के सबसे निकटतम ग्रह माना जाता है। सूर्यास्त के बाद यह सूर्योदय के पहले कुछ घंटे के भीतर शुक्र ग्रह को अक्सर देखा जा सकता है। यह चमकीले तारे के रूप में दिखाई देता है। शुक्र को कलात्मक ग्रह की संज्ञा दी गई है। संगीत, कला, कौशल, कविता, आनंद और सौंदर्य प्रसाधन के अलावा शुक्र वाहनों से जुड़े और आभूषणों से जुड़े ग्रहों की संज्ञा पाते हैं। कुंडली में शुक्र के महत्वपूर्ण ग्रह की युति के साथ ही बेहद महत्वपूर्ण योग का भी निर्माण होता है।
शुक्र ग्रह से बनने वाले महत्वपूर्ण योग
जातक की कुंडली में अगर शुक्र चंद्रमा और गुरु केंद्र में पहले, चौथे अथवा दसवें घर में विराजमान है तो जातकों के जीवन पर इसके सकारात्मक प्रभाव नजर आते हैं। जातक, जीवन भर सुख सुविधा और विलासिता का अनुभव करता है। इसके साथ ही उसे आर्थिक नुकसान नहीं होता है। पैसे की कमी रहते हुए आवश्यकता पर उन्हें धन का लाभ मिल जाता है।
साथ ही किसी जातक की कुंडली में अगर लग्न में सूर्य चंद्रमा हो और 12वीं भाव में शुक्र विराजमान हो तो जातक धनवान प्रवृत्ति के होते हैं। उन्हें धन के संकट नहीं होते। संपत्ति के मामले में वह सक्षम नजर आते हैं।
कुंडली में शुक्र मिथुन और कन्या राशि में विराजमान हो और चंद्रमा की दृष्टि उन पर पड़ी हो तो जातक की जीवन भर राजा की तरह आनंद प्राप्त करते हैं। उन्हें राजकीय सुख मिलने के साथ ही उनके अध्यात्म और ज्ञान में वृद्धि होती है। इसके साथ ही वह वास्तुकला को अधिक महत्व देते हैं।
महाराज योग का निर्माण
किसी कुंडली में शुक्र का संबंध चंद्रमा और बुध से हो और इन तीन ग्रहों का लगने से भी संबंध हो तो कुंडली में महाराज योग का निर्माण होता है। महाराज योग बनने के बाद जातक को अपार धन, संपदा, संपत्ति, विलासिता का सुख प्राप्त होता है। इसके साथ ही उनके जीवन में कठिनाई नाममात्र देखने को मिलती है। इतना ही नहीं उन्हें जीवन के प्रत्येक क्षण पर ईश्वरीय शक्ति का साथ मिलता है।
जातक की कुंडली में शुक्र मीन वृषभ और तुला के पहले चौथे सातवें, दसवें घर में हो तो जीवन में खुशहाली बनी रहती है। शिक्षा सफलता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण लाभ नजर आते हैं। इसके साथ ही उन्हें कार्यस्थल पर सफलता प्राप्त करने के लिए अत्यधिक प्रयत्न की आवश्यकता नहीं होती है।
किसी जातक की कुंडली में लग्न से 12 वीं घर में यदि शुक्र हो तो जातक को राजयोग का लाभ मिलता है। उसे जीवन में सुख संपन्नता समृद्धि मिलने के साथ ही अपार धन-संपत्ति का लाभ मिलता है। इसके साथ ही उनके वैवाहिक जीवन भी सुखी रहते हैं।
किसी ज्यादा की कुंडली में शुक्र है यदि धनु या मीन राशि में विराजमान हों और गुरु की दृष्टि उस पर पड़ी हो तो जातक के वैवाहिक जीवन सुखी रहते हैं। उनके वैवाहिक जीवन स्थिर रहते हैं। पति-पत्नी के बीच सामंजस्य देखने को मिलता है। इसके साथ ही एक बेहद सुखी पारिवारिक लाभ उन्हें उपलब्ध होता है।
लक्ष्मी योग का निर्माण
शुक्र ग्रह के प्रभाव से लक्ष्मी योग का निर्माण होता है। लक्ष्मी योग निर्मित होते हैं, जब नवम भाव के स्वामी बलवान अवस्था में त्रिक भाव में हो और लग्न के स्वामी बलवान हो, यह योग तब निर्मित होते हैं। जब शुक्र और नवम भाव का स्वामी बलवान अवस्था में केंद्र में मौजूद होता है, ऐसे में दो तरह से लक्ष्मी योग का निर्माण होता है।
लक्ष्मी योग का लाभ
लक्ष्मी योग के कारण जातकों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव नजर आते हैं। व्यक्ति साहसी और कुशल नेतृत्व वाला होता है। इसके साथ ही ऐसे व्यक्ति उचित सिद्धांत रखते हैं। एक अच्छे नेतृत्व क्षमता से विकसित होने के कारण ही एक अच्छे नेता के तौर पर उभर कर सामने आते हैं।
लक्ष्मी योग के कारण जान और धार्मिक कार्यों में शामिल रहने के साथ ही जातक अपने दोस्त और परिवार के सदस्य के प्रति भी सुरक्षात्मक व्यवस्था में रहते हैं। इसके साथ ही बीमारी उनसे दूर रहती है। उन्हें प्रसिद्धि प्राप्त होती है। एक अच्छे जीवन साथी के साथ ही उनके वैवाहिक संबंध भी बेहद अनुकूल रहते हैं।