Rajyog 2023: गुरु-शुक्र से ‘पंचग्रही योग’ सहित 2 राजयोग का निर्माण, वृषभ-सिंह-वृश्चिक सहित दो राशियों को धन, वैभव, सम्मान, व्यापारिक विस्तार, प्रतिष्ठा, नौकरी, सफलता

Kashish Trivedi
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rajyog 2024

Astrology, Panchgrahi Yog 2023, Akhand Samarajya Rajyog : ज्योतिष शास्त्र में कुंडली में कई तरह के ग्रहों का राशि परिवर्तन योग का कारण होता है।  किसी न किसी ग्रहों के राशि परिवर्तन सहयोग से योग और राजयोग का निर्माण होता है। कुंडली के कई ऐसे योग है, जो बेहद शुभ माने जाते हैं। इन्हीं योगों में से एक योग होता है “पंचग्रही योग”

पंच ग्रही योग

पंच ग्रही योग को ज्योतिष में बेहद शुभ माना जाता है ज्योतिष के अनुसार जब किसी घर में 5 ग्रह एक साथ आते, तब पंच ग्रही योग का निर्माण होता है। ऐसे जातक को जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। समाज में मान सम्मान, प्रतिष्ठा का पद प्राप्त होता है। साथ ही उच्च पद पर इनकी नियुक्ति होती है। पंच ग्रही योग हर जातक के लिए शुभ हो,, ऐसा भी आवश्यक नहीं है। कईयों के विपरीत प्रभाव पड़ने के कारण पर चल रही योग का लाभ जातकों को नहीं मिल पाता है।

पंचग्रही योग का निर्माण 

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक पंच ग्रही योग यदि बुध के बिना और राहु या केतु में से किसी एक ग्रह की उपस्थिति में बने तो लाभदायक साबित होता है। ऐसे जातक जीवन में कई सफलताओं को हासिल करते हैं। मान सम्मान के साथ उनके धन अर्जन में भी उन्हें विशेष सफलता मिलती है। करियर में हर दिशा से बढ़ोतरी देखने को मिलती है। वही पंच ग्रही योग में यदि शुभ ग्रह की उपस्थिति अधिक और पाप ग्रह कम हो तो यह बेहद अनुकूल और अच्छे परिणाम देते हैं।

पंचग्रही योग का प्रभाव 

  • ज्योतिष विद्या के मुताबिक पंच ग्रही योग का असर व्यक्ति के स्वभाव और मन मस्तिष्क पर भी पड़ता है। ऐसे में किसी भी जातक की कुंडली में यदि सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध और शुक्र का सहयोग है तो जातक की कुंडली में पंच ग्रही योग का निर्माण होगा। ऐसे जातक स्वार्थी होते हैं। हर कार्य में अपना लाभ देते हैं। साथ ही दूसरों को स्वयं से कम समझना इन जातकों के स्वभाव में माना जाता है।
  • सूर्य, चंद्रमा, मंगल, शुक्र और शनि के सहयोग से बनने वाले पंच ग्रही योग से व्यक्ति महापराक्रमी माने जाते हैं। इन ग्रहों के योग से जातक धन-संपत्ति प्रतिष्ठा होते हैं। ऐसे व्यक्ति आकर्षक व्यक्तित्व के धनी होते हैं। साथ ही व्यापार में लाभ अर्जन करने के साथ ही उनके प्रतिष्ठा और सम्मान में भी वृद्धि होती है।
  • इसके साथ ही सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र और शनि के सहयोग से अगर जातकों की कुंडली में पंच ग्रही योग का निर्माण हो रहा तो जातक धन और आर्थिक रूप से मजबूत रहते है। हालांकि इन ग्रहों से बनने वाले पंच ग्रही योग से जातकों के जीवन में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। स्त्री की कुंडली से इनके संयोग बदलते हैं और इनके जीवन पर इसका प्रतिकूल प्रभाव नजर आते हैं।

अखंड साम्राज्य योग

वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो धन वैभव और सुख समृद्धि के लिए जाने जाते हैं। इन्हीं ग्रहों में से एक होता है, अखंड साम्राज्य, जो अति फलदाई और प्रभाव से माना जाता है।

मेष वृषभ सहित सिंह राशि के जातकों सहित वृश्चिक और कुंभ लग्न में जन्म लेने वाले जातक को अखंड साम्राज्य योग का लाभ मिलता है। इन जातकों को भाग्य का प्रबल साथ मिलता है। घर और व्यापार में तरक्की होती है। सुख समृद्धि का लाभ होने के साथ ही एक बड़े राजनेता के रूप में उभर कर सामने आते हैं।

अखंड साम्राज्य राजयोग का निर्माण

  • गुरु जो 5:00 बजे दूसरे और एक ग्यारह घर के स्वामी हो तब अखंड साम्राज्य योग का लाभ जातकों को मिलता है।
  • गुरु जब वृषभ लग्न के साथ एकादश भाव सिंह लग्न के साथ पंचम भाव, वृश्चिक लग्न के साथ दूसरे और पंचम भाव सहित कुंभ लग्न के साथ द्वितीय और ग्यारहवें भाव के कारक माने जाते हैं तो अखंड साम्राज्य योग का निर्माण होता है।

अखंड साम्राज्य योग का लाभ

  • इस योग से जातक को धन की कमी नहीं रहती। पैतृक संपत्ति का लाभ मिलता है, वह अकेला मालिक बन सकता है।
  • इसके साथ ही उनके करियर और व्यापार के हर क्षेत्र में तरक्की प्राप्त होती और
  • प्रत्यक्ष धन बनने की संभावना होती है।
  • सुख सुविधा का भोग भोगने के साथ ही अशुभ प्रभाव कम होते हैं।
  • उच्च शिक्षा हासिल करने के साथ ही संतान सुख का फल प्राप्त करता है।
  • इसके साथ ही उसे उपक्रमों में सफलता प्राप्त होती ।
  • आध्यात्मिक शक्ति का ज्ञान होता है साथ ही स्टॉक एक्सचेंज शेयर मार्केट में कार्यरत रहता है।

महालक्ष्मी योग

किसी ज्यादा की कुंडली में चंद्रमा और मंगल एक ही भाव में विराजमान होकर युति करते हैं। तब महालक्ष्मी योग का निर्माण होता है। महालक्ष्मी योग से जातकों के जीवन में धन भाव समृद्ध होते हैं। इसके साथ ही लक्ष्मी इनके लाभ भाव में भी विराजमान होती है। शुभ ग्रह की दृष्टि जाति के द्वितीय भाव पर पड़ने पर महालक्ष्मी योग का निर्माण माना जाता है।

द्वितीय भाव यानी कि धन भाव का स्वामी एकादश भाव यानी लाभ भाव में विराजमान और किसी शुभ ग्रह की दृष्टि द्वितीय भाव पर हो तो महालक्ष्मी योग का निर्माण होता है।

(Disclaimer: यह आलेख सामान्य जानकारी पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी सलाह और नियम के लिए अपने ज्योतिषाचार्य की सलाह अवश्य लें।)


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