Badrinath Dham : आज से बद्रीनाथ धाम में शुरू होगा नए रावल का तिलपात्र, जानिए कैसे निभाई जाती है यह परंपरा

Badrinath Dham : बद्रीनाथ धाम में आज से नए रावल का तिलपात्र समारोह शुरू हो रहा है, जो पूजा अर्चना और गर्भगृह में प्रवेश से पहले की एक महत्वपूर्ण परंपरा है। दरअसल यह परंपरा पिछले ढाई सौ सालों से चली आ रही है और बद्रीनाथ धाम के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को बढ़ाती है।

Rishabh Namdev
Published on -

Badrinath Dham : बद्रीनाथ धाम में आज से नए रावल के तिलपात्र की पवित्र परंपरा शुरू हो रही है, जो ढाई सौ सालों से चली आ रही है। बता दें कि इस परंपरा के माध्यम से नए रावल की नियुक्ति को विधिवत संपन्न किया जाता है, जिससे वे पूजा अर्चना और गर्भगृह में प्रवेश के लिए योग्य हो जाते हैं। तिलपात्र की इस विशेष प्रक्रिया के अंतर्गत कई धार्मिक विधियों का पालन किया जाता है, जो बद्रीनाथ धाम की धार्मिक धरोहर और सांस्कृतिक महत्व को बनाए रखने में सहायक है।

रावल की नियुक्ति और तिलपात्र की परंपरा

दरअसल मुख्य पुजारी रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी के इस्तीफे के बाद, बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने नायब रावल अमरनाथ नंबूदरी को नए रावल के रूप में नियुक्त किया है। अब बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) नए रावल के तिलपात्र की तैयारियों में जुटी है। यह प्रक्रिया 13 और 14 जुलाई को संपन्न होगी। तिलपात्र समारोह के दौरान, धार्मिक विधियों और वैदिक मंत्रोचार के साथ नए रावल की पूजा अर्चना की जाएगी।

जानिए क्या है तिलपात्र?

दरअसल तिलपात्र, बद्रीनाथ धाम में पूजा अर्चना शुरू करने और गर्भगृह में प्रवेश से पहले की जाने वाली एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इस परंपरा के अंतर्गत कई धार्मिक विधियों का पालन किया जाता है। तिलपात्र परंपरा को निभाते हुए ढाई सौ साल से रावल की नियुक्ति की जाती रही है, जिससे मंदिर की धार्मिक गतिविधियों की निरंतरता बनी रहती है।

तिलपात्र की प्रक्रिया

जानकारी के अनुसार ’13 जुलाई को सबसे पहले नवनियुक्त रावल का मुंडन किया जाएगा और उनका जनेऊ बदला जाएगा। इसके बाद, नवनियुक्त रावल बद्रीनाथ धाम स्थित पंच धाराओं में स्नान करेंगे। वहीं नवनियुक्त रावल के स्नान के बाद, वे बद्रीनाथ मंदिर में आएंगे, जहां धर्माधिकारी और वेदपाठी वैदिक मंत्रोचार के साथ तिलपात्र की विधि संपन्न करेंगे।’

वहीं जानकारी के अनुसार तिलपात्र की प्रक्रिया के बाद हवन किया जाएगा। अगले दिन, 14 जुलाई को सुबह, वर्तमान रावल भगवान बदरीविशाल का अभिषेक करेंगे और बालभोग अर्पित करेंगे। इस दौरान नए रावल भी मौजूद रहेंगे। वहीं बालभोग के बाद, वर्तमान रावल नए रावल को पाठ, मंत्र और गुरुमंत्र प्रदान। इसके पश्चात नए रावल अपने निवास पर चले जाएंगे। फिर 14 जुलाई को शयनकालीन पूजा के लिए, नए रावल छड़ी के साथ मंदिर में प्रवेश करेंगे और बद्रीनाथ धाम में पूजा-अर्चना आरंभ करेंगे।


About Author
Rishabh Namdev

Rishabh Namdev

मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

Other Latest News