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Tue, Dec 16, 2025

23 अक्टूबर को मनाया जाएगा भाई दूज, नहीं रहेगा भद्रा का साया, इन नियमों का करें पालन

Written by:Sanjucta Pandit
भाई दूज का पर्व 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह दिन भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। इस दिन बहनें शुभ मुहूर्त में भाई को तिलक लगाकर दीर्घायु की कामना करती हैं और भाई उपहार देकर रक्षा का वचन देता है।
23 अक्टूबर को मनाया जाएगा भाई दूज, नहीं रहेगा भद्रा का साया, इन नियमों का करें पालन

भारत में हर साल बड़े ही धूमधाम से भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भाई-बहन एक-दूसरे की रक्षा का करने की कसम खाते हैं। बहनें अपने भाईयों की कलाई पर रक्षा धागा बांधती हैं। यह पर्व दोनों के प्यार का प्रतीक होता है। जब बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती है और भाई बदले में उन्हें उपहार देकर उनकी रक्षा का वादा करता है। बता दें कि यह त्योहार दिवाली के पांचवें दिन मनाया जाता है।

दीपावली का पांच दिवसीय त्योहार जब अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचता है, तो इसका समापन भाई दूज के साथ होता है। यह त्योहार सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि भाई-बहन के गहरे प्रेम और विश्वास का प्रतीक है।

प्रेम का प्रतिक

यह दिन बहनों के लिए खासकर बेहद खास होता है। भाई को रक्षा धागा बांधने के बाद उन्हें तोहफा भी मिलता है। इसे यम द्वितीया या भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती है। वहीं, भाई बहन को स्नेह और सुरक्षा का वचन देता है। इस दिन परिवार के साथ बाहर भी लोग घूमने जाते हैं। इस दिन को स्पेशल बनाने के लिए तमाम तरह की चीजें करते हैं। कई बार भाई-बहन एक-दूसरे के लिए घर पर ही सरप्राइज रखते हैं, तो कुछ भाई अपनी बहन को अनोखा गिफ्ट देता है।

तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल भाई दूज का पर्व 23 अक्टूबर 2025 (गुरुवार) को मनाया जाएगा। द्वितीया तिथि की शुरुआत 22 अक्टूबर की रात 8 बजकर 16 मिनट पर होगी और यह तिथि 23 अक्टूबर की रात 10 बजकर 46 मिनट तक रहेगी। इसलिए यह 23 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा।

इस दिन तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 13 मिनट से लेकर 3 बजकर 28 मिनट तक का रहेगा। इस दौरान बहनें अपने भाइयों का तिलक करके उन्हें मिठाई खिलाएंगी और आरती उतारेंगी।

भ्रदा काल

ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस दिन भद्रा काल का कोई प्रभाव नहीं होगा। भद्रा काल को हिंदू शास्त्रों में अशुभ समय माना जाता है, क्योंकि इसे शनिदेव की बहन भद्रा से जोड़ा गया है। भद्रा का स्वभाव उग्र और अशुभ माना जाता है, इसलिए पारंपरिक मान्यता यह कहती है कि भद्रा काल में किसी भी मांगलिक या शुभ कार्य जैसे तिलक, गृह प्रवेश या विवाह नहीं करना चाहिए। ऐसे में भद्रा का प्रभाव न होने से बहनें पूरे मन से अपने भाई का तिलक कर सकती हैं।

मान्यता

पौराणिक मान्यता के अनुसार, भाई दूज की शुरुआत यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ी है। कहा जाता है कि एक बार यमराज अपनी बहन यमुना के घर मिलने पहुंचे। यमुना ने अपने भाई का स्वागत बड़ी श्रद्धा से किया, उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया और तिलक लगाकर दीर्घायु की कामना की। बहन के स्नेह से प्रसन्न होकर यमराज ने वरदान दिया कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाएगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। तभी से यह पर्व मनाया जाता है और इसे यम द्वितीया कहा जाने लगा।

विधि

  • भाई दूज के दिन बहनें सुबह स्नान करके पूजा की तैयारी करें।
  • शुभ मुहूर्त में वे चावल के आटे से चौक बनाएं।
  • भाई को उस पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठाएं।
  • इसके बाद भाई के माथे पर रोली या चंदन का तिलक लगाएं।
  • फिर अक्षत (चावल के दाने) रखें।
  • भाई के हाथ में कलावा (मौली) बांधकर उसकी आरती उतारें।
  • अब घी का दीपक जलाकर उसकी लंबी उम्र की कामना करें।
  • फिर भाई को मिठाई खिलाकर तिलक विधि को पूरा करें।
  • इसके बाद भाई अपनी बहन को उपहार दे और उसके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद ले।

बता दें कि यह रिश्तों में अपनापन और एक-दूसरे के प्रति जिम्मेदारी का प्रतीक है। इस दिन भाई-बहन पुराने गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे की खुशियों में शामिल होते हैं। भले ही जमाना दिन-प्रतिदिन बदल रहा है, लेकिन आधुनिक दौर में भी यह त्योहार उतने ही जोश और भावनाओं से मनाया जाता है, जितना सदियों पहले मनाया जाता था। चाहे शहरों में हों या गांवों में… बहन के हाथ से तिलक लगवाने और मिठाई खाने का आनंद हर भाई के लिए सबसे खास होता है।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)