संसार में ऐसे व्यक्ति भी हैं जिनके पास दौलत तो खूब है लेकिन शांति नहीं है- मुनिश्री

दतिया, सत्येन्द्र रावत। व्यक्ति चाहे करोड़ों कमाले, हीरा मोती, जवाहरात के ढेर लगाले लेकिन रुपये पैसे से व्यक्ति अमर नहीं बन सकता। धन केवल सुविधा दे सकता है, मृत्यु से विजय नहीं दिला सकता। मृत्यु साष्वत सत्य है । रुपये पैसे से मौत पर  विजय नहीं पाई जा सकती है। धन से सिफ सुविधाएं ही खरीदी जा सकती है। संसार में ऐसे व्यक्ति भी हैं जिनके पास दौलत तो खूब है लेकिन शांति नहीं है।  यह विचार क्रांतिकारी मुनिश्री प्रतीक सागर महाराज ने आज शुक्रवार को सोनागिर स्थित  आचार्यश्री पुष्पदंत सागर सभागृह में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।

रिश्तों पर उद्बोधन देते हुए मुनिश्री ने कहा कि संसार के समस्त रिश्ते स्वार्थ के वषीभूत होकर चल रहे हैं। व्यक्ति जो कुछ करता है वो स्वयं की खुशी  के लिए करता है।  स्वयं का सुख और स्वयं का प्रेम ही सभी रिश्तों को आगे बढाता है, चाहे रिश्ता पति-पत्नी का हो, बाप-बेटा का हो, भाई-भाई का हो अथवा कोई भी रिश्ता हो सिर्फ स्वयं के स्वार्थ के लिये ही रिश्तें चलते रहते हैं।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।