Gayatri Jayanti 2023 : गायत्री जंयती हर वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाता है। इसी दिन निर्जला एकादशी भी होती है, जो ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाई जाती है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर माता गायत्री की उत्पत्ति हुई है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस साल 31 मई को यह जयंती मनाई जाएगी। गायत्री संहिता के अनुसार, गायत्री माता सरस्वती, लक्ष्मी और काली का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्हें “भासते सततं लोके गायत्री त्रिगुणात्मिका” कहा जाता है।
इस दिन गायत्री माता की उपासना की जाती है और छात्रों को सफलता की कामना की जाती है। इस दिन निर्जला एकादशी का व्रत भी मनाया जाता है, जिसमें भक्त बिना पानी पिए व्रत करते हैं। ऐसा माना जाता है कि गायत्री जयंती छात्रों के लिए विशेष महत्वपूर्ण होती है। इस दिन छात्र यदि इन उपायों को अपनाते हैं तो उन्हें सफलता पाने में कोई बाधा नहीं उत्पन्न होती। आइए विस्तार से बताते हैं…
- गायत्री मंत्र जप: गायत्री मंत्र का जाप करना छात्रों के बुद्धि, ज्ञान, धैर्य, और सफलता में सहायता करता है। छात्रों को गायत्री मंत्र का नियमित जप करना चाहिए।
- पूजा और हवन: गायत्री माता की पूजा और हवन से छात्रों को ब्रह्मज्ञान, बुद्धि, शक्ति, और सफलता प्राप्त होती है। छात्रों को गायत्री माता की पूजा करनी चाहिए और हवन करने का अनुभव अवश्य प्राप्त करना चाहिए।
- व्रत और उपवास: छात्रों को गायत्री जयंती के दिन उपवास रखने का आदेश दिया जाता है। यह उनके आध्यात्मिक उन्नति को संवारने में मदद करता है और सफलता के पथ में सहायता करता है।
- गायत्री मंत्र का अभ्यास: छात्रों को गायत्री मंत्र का नियमित अभ्यास करना चाहिए। इसे उनकी बुद्धि और सफलता को बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
- गायत्री यन्त्र: यह छात्रों को सफलता की प्राप्ति में सहायता कर सकता है। छात्रों को गायत्री यन्त्र को अपने अध्ययन क्षेत्र में स्थापित करना चाहिए।
गायत्री जयंती पूजन विधि
- पूजा की शुरुआत में स्नान करें और शुद्ध हों।
- पूजा के लिए एक स्थान तैयार करें, जहां आप गायत्री माता की मूर्ति या यन्त्र स्थापित करेंगे।
- पूजा के लिए अष्टद्रव्य (गंध, दीप, दूप, नैवेद्य, फूल, अक्षत, वस्त्र, गायत्री माला) का पूजन करें।
- गायत्री माता की आरती गाएं और उन्हें प्रसन्न करें।
- गायत्री मंत्र का नियमित जप करें। इसके लिए माला का उपयोग करें और जप के समय मां गायत्री का ध्यान करें।
- मां गायत्री की कृपा के लिए प्रार्थना करें और प्रसाद बांटें।
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥
इस मंत्र का अर्थ है कि हम उस परमात्मा की प्रार्थना करते हैं जो भूर्भुवः स्वः के स्वरूप में स्थित है। हम उस सबसे श्रेष्ठ और ज्ञानी परमात्मा की प्रार्थना करते हैं, जिसकी प्रकाशमयी शक्ति सभी भूतों को उज्ज्वल करती है। हम उस देवता का ध्यान करते हैं और हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें।
बता दें कि गायत्री मंत्र छात्रों के लिए ज्ञान, बुद्धि, शक्ति और सफलता को प्राप्त करने में सहायता करता है। इस मंत्र का नियमित जप करने से छात्रों के मन में शांति, ध्यान और स्वयं को समर्पित करने की क्षमता विकसित होती है। इसे नियमित रूप से प्रयोग करके छात्रों को अध्ययन में सफलता प्राप्त होती है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना अलग-अलग जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)