नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखने की मान्यता है। भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को अगस्त का आखरी प्रदोष व्रत आने वाला है। इसका मतलब यह हुआ कि भादो का पहला प्रदोष व्रत 24 अगस्त को पड़ेगा। बुधवार दिन होने से इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस व्रत को लेकर मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और गणेश जी का पूजन करने से सारी परेशानियों से मुक्ति मिलती है और मनचाहा वरदान मिलता है।
प्रदोष व्रत पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से रोग, ग्रह दोष, कष्ट और पाप जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। कुछ लोग संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत करते हैं। व्रत को करने से धन-धान्य, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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प्रदोष व्रत तिथि और मुहूर्त
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 अगस्त बुधवार को सुबह 8:30 से शुरू होकर अगले दिन 25 अगस्त सुबह 10:37 तक चलेगी। त्रयोदशी तिथि में पूजा का मुहूर्त 24 अगस्त को ही है इसलिए यह व्रत इसी दिन रखा जाएगा। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:52 से रात 9:04 तक है।
प्रदोष व्रत पूजन विधि
प्रदोष व्रत के दिन सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त से 45 मिनट बाद तक भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। इस दिन हल्के लाल या गुलाबी रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद चांदी या फिर तांबे के लोटे से शुद्ध शहद की धारा शिवलिंग पर अर्पित करें।
शहद से अभिषेक करने के बाद शुद्ध जल की धारा से शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके साथ भगवान को फल, फूल और मिठाई चढ़ाएं। अपनी जो भी समस्या है उसके निवारण के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करें। प्रदोष व्रत कथा का पाठ करने के साथ शिव चालीसा पढ़ें। इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने की भी मान्यता है।