महाशिवरात्रि के त्योहार के लिए देश भर में अलग ही उत्साह और उल्लास नज़र आता है, बड़े बुजुर्गों से लेकर छोटे नन्हें मुन्ने बच्चे तक महाशिवरात्रि का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. कम से कम एक महीने पहले ही महाशिवरात्रि के पर्व की तैयारियां शुरू हो जाती है, देशभर के हर शिव मंदिर में अलग ही नज़ारा देखने को मिलता है.
अब साल 2025 की महाशिवरात्रि में मात्र 3-4 दिन ही बचे हैं. ऐसे में काशी से लेकर उज्जैन तक के तमाम महादेव के मंदिरों में तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही है. अगर मध्य प्रदेश के उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर की बात की जाए, महाशिवरात्रि के पर्व को लेकर मंदिर में भी राजाधिराज बाबा महाकाल की भव्य पूजा आराधना की तैयारियां शुरू हो चुकी है, जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे है.
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महाकाल को हर दिन लगाई जा रही हल्दी (Maha Shivratri 2025)
आपको बता दें, महाशिवरात्रि का त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के रूप में मनाया जाता है. यही कारण है कि महाशिवरात्रि का त्योहार भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, लोग न सिर्फ़ महाशिवरात्रि पर व्रत रखते हैं और पूजा पाठ करते हैं, बल्कि शादी की तरह धूमधाम से इस त्योहार को मनाते हैं. शादी में जितनी रस्में होती है वे सारी रस्में, शिव भक्तों के द्वारा की जाती है. इसी के चलते उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के बाबा महाकाल को हर दिन अलग अलग रूपों में सजाया जा रहा है, महाशिवरात्रि के आने के नौ दिन पहले ही बाबा महाकाल को दूल्हे की तरह सजाया जाता है, और हर दिन अलग अलग रस्में की जाती है.
शिव नवरात्रि मनाने की परंपरा
क्या आप जानते हैं? महाशिवरात्रि से पहले उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में शिव नवरात्रि मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. यही कारण है, की महाशिवरात्रि के आने के 9 दिन पहले ही महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल को दूल्हे की तरह सजाया जाता है, नियम अनुसार रोज़ाना सुबह और शाम भस्म आरती की जाती है, रोज़ाना बाबा महाकाल को स्नान करवाते हैं, इस दौरान रोज़ाना हल्दी भी लगायी जाती है.
बाबा महाकाल का श्रृंगार
महाशिवरात्रि को लेकर शिव भक्तों में अलग ही उत्साह नज़र आता है, भक्त भगवान शिव और माता पार्वती विधि विधान से ही शादी करवाते हैं, महाशिवरात्रि के आने के 9 दिन पहले ही शादी के रीति रिवाज़ से शुरू हो जाते हैं. बाबा भोलेनाथ का श्रृंगार किया जाता है, जिसमें भांग, सूखे मेवे, अबीर, कंकु, गुलाल आदि शामिल हैं. इतना ही नहीं रोज़ाना भगवान को इत्र भी अर्पित किया जाता है.