प्रयागराज महाकुंभ स्नान के 4 जरूरी नियम, बांध लें गांठ, बिना पालन के व्यर्थ हो सकती है यात्रा

प्रयागराज महाकुंभ एक ऐसा आध्यात्मिक और पवित्र अवसर है, जहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाकर मोक्ष की कामना करते हैं।

Bhawna Choubey
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Mahakumbh 2025: सनातन धर्म के सबसे बड़े मेले महाकुंभ मेला 2024 का आयोजन प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू होने जा रहा है। यह मेला 26 जनवरी 2025 तक चलेगा। महाकुंभ मेले का आयोजन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है।

इस मेले के दौरान देशभर के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु पवित्र नदी में स्नान करने के लिए आते हैं। माना जाता है कि महाकुंभ के दौरान पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि महाकुंभ के दौरान गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का जल अमृत का रूप धारण कर लेता है।

प्रयागराज महाकुंभ स्नान के 4 जरूरी नियम (Mahakumbh 2025)

पवित्र नदियों में स्नान करने से न केवल शरीर की शुद्धि होती है, बल्कि व्यक्ति के मन में चल रहे मैले विचारों की भी शुद्धि होती है। इतना ही नहीं मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। हर बार महाकुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं, और पवित्र जल में डुबकी लगाकर पुण्य की प्राप्ति करते हैं।

प्रयागराज महाकुंभ 2025 में स्नान करने के दौरान सनातन धर्म के विद्वानों ने कुछ महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना हर व्यक्ति के लिए अनिवार्य है। बताया जाता है कि अगर इन नियमों का पालन नहीं किया जाए, तो पवित्र नदी में स्नान करने का फल प्राप्त नहीं होता है।

पहला नियम

महाकुंभ मेले में स्नान करने के दौरान का जो सबसे अहम नियम है, वह यह है की सबसे पहले नागा साधु स्नान करते हैं, इसके बाद अखाड़े के अन्य साधु संतों का स्नान होता है, और फिर अंत में आम श्रद्धालुओं को स्नान करने की अनुमति मिलती है।

यह प्रक्रिया धार्मिक परंपरा के साथ-साथ सम्मान का प्रतीक भी मानी जाती हैं। इसलिए किसी भी श्रद्धालु को साधु संत से पहले स्नान करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, थोड़ा सा धैर्य रखना चाहिए और बाद में ही स्नान करना चाहिए।

दूसरा नियम

अगर आप गृहस्थ हैं, और महाकुंभ मेले में जाने का विचार कर रहे हैं तो स्नान के दौरान पांच डुबकी जरूर लगाना चाहिए। माना जाता है कि गृहस्थ अगर पांच से कम डुबकी लगाते हैं, तो उनका कुंभ स्नान अधूरा माना जाता है।

इसके अलावा अविवाहित युवक अपनी इच्छा अनुसार जितनी चाहे उतनी डुबकी लगा सकते हैं, उनके लिए कोई विशेष नियम नहीं बताया गया है।

तीसरा नियम

स्नान करने के बाद का जो सबसे अहम कार्य है वह यह है भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करना। इसे करने के लिए आपको सूर्य की ओर मुख करके दोनों हाथों में पवित्र जल भरकर उसे शरीर के ऊपर से ले जाना होता है।

फिर धीरे-धीरे भगवान सूर्य देव के किसी भी मंत्र का उच्चारण करते हुए जल को नीचे गिराना होता है। यह कर्म न केवल आध्यात्मिक शुद्धि के लिए होता है, बल्कि यह व्यक्ति के भलाई और पुण्य के लिए भी बहुत फायदेमंद माना जाता है।

चौथा नियम

चौथा नियम यह है की कुंभ स्नान की बात प्रयागराज के प्रसिद्ध लेटे हनुमान जी मंदिर और वासुकी नाग मंदिर के दर्शन करने की विशेष मान्यता है।

इन मंदिरों में दर्शन करने से कुंभ स्नान का महत्व पूरा होता है। इतना ही नहीं मन को शांति भी मिलती है। इस दौरान आप गरीब या फिर जरूरतमंद लोगों को खाने-पीने की चीजों का दान कर सकते हैं।

 


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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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