MP Breaking News
Thu, Dec 18, 2025

Navratri 2023 : नवरात्रि के तीसरे दिन आज होगी मां चंद्रघंटा की आराधना, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

Written by:Shruty Kushwaha
Published:
Last Updated:
Navratri 2023 : नवरात्रि के तीसरे दिन आज होगी मां चंद्रघंटा की आराधना, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

Navratri 2023 : आज नवरात्रि का तीसरा दिन है और इस दिन मां के तीसरे रूप “चंद्रघंटा” की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा के माथे पर अर्थचंद्र सुशोभित है। ये देवी पार्वती का विवाहित रूप हैं और भगवान शिव से विवाह के बाद देवी ने अपने माथे पर आधा चंद्रमा सजाना शुरु किया। देवी के दस हाथ हैं जिनमें त्रिशूल, गदा, तलवार, बाण, धनुष, कमंडल, कमल का फूल और जप माला धारण किया है। माता के तीन नेत्र है इसलिए इन्हें त्रिनेत्री और त्रिचंद्रा के नाम से भी जाना जाता है।

इस विधि से करें मां चंद्रघंटा की पूजा

चंद्रघंटा देवी का दर्शन करने से भक्त को मन, वचन, और कर्म शुद्धि मिलती है और सभी दोषों से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन की पूजा से भक्तों को शक्ति, साहस और संयम की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा से व्यक्ति पराक्रमी होता है। आज के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर लाल रंग के वस्त्र धारण करें और इस विधि से माता की पूजा करें।

शुभ मुहूर्त: आज सुबह 11.29 बजे से दोपहर 12 बजे तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। इसके बाद सुबह 11.23 बजे से दोपहर 1 बजकर 2 मिनट तक अमृत काल रहेगा। ये दोनों ही मुहूर्त पूजन के लिए उपयुक्त है।

पूजन सामग्री: मां चंद्रघंटा की मूर्ति या चित्र। पूजा के लिए आवश्यक सामग्री (दीपक, अगरबत्ती, धूप, अखंड ज्योति, कलश, फूल, पुष्प, फल, नैवेद्य, सिन्दूर, रोली, चावल, सुपारी, इलायची, लौंग, काजू, बताशे, दूध, घी, मिष्ठान्न, गुड़, पंचामृत, कपूर, तिल, गुलाब जल, गंगा जल, शंख, बेल पत्र, तुलसी , बर्फ, गौ मूत्र, श्रृंगार सामग्री)

पूजन की विधि : मां चंद्रघंटा की मूर्ति को सजाएं। घी का दीपक जलाएं और माता की आराधना करें। उन्हें पुष्प, चंदन, कुंकुम, अगरबत्ती, धूप, दीप, फल, नैवेद्य, अक्षत, अखंड ज्योति, दूध, घी, मिष्ठान्न, दाना, गुड़, गुलाब जल और बताशे समर्पित करें। पूजा के पश्चात प्रसाद (नैवेद्य) को चंद्रघंटा माता को समर्पित करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और पूजा के बाद माता की आरती करें।

मां चंद्रघंटा का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

मां चंद्रघंटा की आरती

नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।
मस्तक पर है अर्ध चंद्र, मंद मंद मुस्कान।।

दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।
घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण।।

सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके स्वर्ण शरीर।
करती विपदा शांति हरे भक्त की पीर।।

मधुर वाणी को बोल कर सबको देती ज्ञान।
भव सागर में फंसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण।।

नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।
जय मां चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा।।

(डिस्क्लेमर : ये लेख सूचनाओं और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)