Padmini Ekadashi 2023 : एक साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं, जिसमें से हर महीने 2 एकादशी एक कृष्ण पक्ष की एकादशी और दूसरी शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है। जुलाई माह में कृष्ण पक्ष की पहली एकादशी यानि कामिका एकादशी 12 जुलाई 2023 को पड़ी थी, वहीं जुलाई माह की दूसरी एकादशी यानि शुक्ल पक्ष की पद्मिनी एकादशी अब 28 जुलाई को पड़ने जा रही है।
मलमास में एकादशी का विशेष महत्व, बनेंगे 2 योग
खास बात ये है कि यह एकादशी हर 3 साल पर आती है। इस बार एकादशी पर ब्रह्म योग और इन्द्र योग बनेगा।वही अधिकमास में आने वाली पद्मिनी एकादशी और परमा एकादशी का विशेष महत्व है। चुंकी मलमास हर तीन साल पर लगता है और उस वर्ष में 24 की जगह 26 एकादशी व्रत होते हैं। मलमास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पद्मिनी एकादशी और कृष्ण पक्ष की एकादशी परमा एकादशी कहलाती है। इस दौरान विधि-विधान से पूजा करने पर भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों का ही आशीर्वाद प्राप्त होगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त
इस बार 29 जुलाई शनिवार को पद्मिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। 28 जुलाई शुक्रवार को दोपहर 2:51 बजे एकादशी तिथि का शुभारंभ होगा और शनिवार दोपहर 1:05 बजे इसका समापन होगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 7:22 से लेकर सुबह 9:04 तक है। वहीं दोपहर में 12:27 से लेकर शाम 5:33 तक पूजा का सहूबू मुहूर्त है। 30 जुलाई को पारण होगा।29 जुलाई को पद्मिनी एकादशी के दिन सुबह 05 बजकर 41 मिनट से भद्रा का प्रारंभ हो रहा है।यह भद्रा दोपहर 01 बजकर 05 मिनट तक है, हालांकि यह स्वर्ग की भद्रा है।
संतानहीन दंपत्तियों के लिए विशेष है यह व्रत
कहते है कि जो व्यक्ति पद्मिनी एकादशी का व्रत रखता है, उसके पाप विष्णु कृपा से नष्ट हो जाते हैं और वह मृत्यु के बाद वैकुंठ में स्थान पाता है।जो लोग नि:संतान हैं, उनको पद्मिनी एकादशी का व्रत करना चाहिए, इसके पुण्य प्रभाव से पुत्र की प्राप्ति होती है। पद्मिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के यश और कीर्ति में वृद्धि होती है और कुल का मान बढ़ता है।पद्मिनी एकादशी व्रत को करने से पुत्र की प्राप्ति होती है, इतना ही नहीं संसार में प्रसिद्धि मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है।
ऐसे करें पूजा विधि
- पद्मिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
- फिर भगवान विष्णु की पूजा-आराधना करें।
- ब्राह्मण को फलाहार का भोजन करवायें और उन्हें दक्षिणा दें।
- इस दिन एकादशी व्रत कथा सुनें।
- भगवान के भजन या मंत्रों का पाठ करें।
- एकादशी व्रत द्वादशी के दिन पारण मुहूर्त में खोलें।