हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है और साल की 24 एकादशियों में से परिवर्तिनी एकादशी का स्थान सबसे खास माना जाता है। यह तिथि न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भी इसका विशेष प्रभाव बताया गया है। कहते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु शयन मुद्रा से करवट बदलते हैं और देवताओं के कार्यों में सक्रिय हो जाते हैं। यही कारण है कि इसे ‘परिवर्तिनी एकादशी’ कहा जाता है।
इस दिन उपवास, पूजा और दान करने से न सिर्फ पापों का नाश होता है बल्कि घर-परिवार में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है। मान्यता है कि इस व्रत से सौभाग्य, स्वास्थ्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं परिवर्तिनी एकादशी 2025 की तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और विष्णु जी के मंत्र।
परिवर्तिनी एकादशी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
तिथि और समय
पंचांग के अनुसार, परिवर्तिनी एकादशी 2025 का व्रत आज यानी 3 अगस्त को रखा जाएगा। एकादशी तिथि का आरंभ और समापन समय अलग-अलग स्थानों पर थोड़ा भिन्न हो सकता है, इसलिए स्थानीय पंचांग अवश्य देखें।
शुभ मुहूर्त
व्रत रखने वाले भक्तों को सूर्योदय से पहले स्नान कर संकल्प लेना चाहिए। पूजा का सबसे उत्तम समय प्रातःकाल का माना गया है। इसी समय भगवान विष्णु की पूजा और मंत्र-जाप करने से व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है।
परिवर्तिनी एकादशी व्रत का महत्व
विष्णु जी के करवट बदलने का दिन
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में रहते हैं। परिवर्तिनी एकादशी को वे शयनावस्था में ही करवट बदलते हैं। इसीलिए इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है।
पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति
धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि परिवर्तिनी एकादशी व्रत करने से हजारों अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है। इस दिन व्रत, उपवास और दान करने से पिछले जन्मों और वर्तमान जीवन के पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है।
स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति
मान्यता है कि इस व्रत से घर में नकारात्मकता दूर होती है और परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है। साथ ही आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और जीवन में खुशहाली बनी रहती है।
परिवर्तिनी एकादशी की पूजा विधि
व्रत की शुरुआत
सुबह सूर्योदय से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को गंगाजल से शुद्ध कर पीले वस्त्र पहनाएं और उन्हें पुष्प, चंदन, अक्षत और तुलसी अर्पित करें।
मंत्र-जाप
व्रत के दौरान ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करना बेहद शुभ माना गया है। इसके अलावा विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी लाभकारी होता है।
दान का महत्व
परिवर्तिनी एकादशी के दिन जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन दिया गया दान अक्षय फल देता है और जीवन की बाधाएं दूर करता है।





