ओरछा| मयंक दुबे| रामराजा की नगरी ओरछा के घर घर मे वैवाहिक गीतों की गूंज है क्योकि राम जी सीता माता को व्याहने जाने वाले है। वर पक्ष बुन्देली गारी के जरिये गीत गुनगुना रहे है कि “बन्ना को चढ़ गओ हरदी तेल बन्ना मेरो पीरो पर गाओ री ” तो वही वधु पक्ष बुन्देली गारी के माध्यम से घर घर यही गीत गा रही है कि “बन्नी तेरी अंखिया सुर में दानी, बन्नी तेरी बेंदी लाख की बन्नी तेरो गेंदा है हजारी ‘.. बुन्देलखण्ड के अलग अलग जिलो से तकरीबन 1 लाख श्रद्धालु राम विवाह महोत्सव में पहले भगवान की पात व फिर बारात के इन्तजार में है|
दरअसल रामराजा की नगरी ओरछा देश भर इकलौती ऐसा स्थान हैं जहां भक्त और भगवान के बीच राजा और प्रजा का सम्बन्ध है। इसलिए ओरछा के परिकोटा के अन्दर सिंर्फ रामराजा को ही गार्ड आॅफ आनर दिया जाता है। ओरछा की सीमा के अन्दर मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री समेत कोई भी अति विशिष्ट व्यक्ति गार्ड ऑफ़ आनर नही लेता है। इस तरह की पांच सौ वर्ष पुरानी एक नहीं ओरछा में अनेक परंपराएं आज भी जीवंत है। परंपराओं की इसी श्रृखला में प्रतिवर्ष रामराजा विवाह की वर्षगांठ का तीन दिवसीय आायोजन भी ठेठ बुन्देली राजशी अंदाज में मनाया जाता है। पंचमी महोत्सव कों देखकर आज भी लोगो में बुन्देली राजशी वैभव की यादे ताजा हो जाती है। राजशी अंदाज में होने वाला प्रतिभोज व रामराजा की बारात की शोभायात्रा अपने आप में अनूठी होती है। इसमें इस वर्ष भी देश के विभिन्न हिस्सों से आए करीब एक लाख लोग भाग लेते है।
बुन्देली गीतों से गूंजेंगी गालियां
आधुनिक सुविधाओं के बीच भी राम विवाहोत्सव का प्राचाीन बुंदेली स्वरूप व परंपराओं को पूरी तरह से जीवंत रखा जाता है । बारात में दुल्हा के रूप् में विराजमान रामराजा सरकार की प्रतिमा को पालकी में बैठाया जाता है । उनके सिर पर सोने का मुकुट नही बल्कि आम बुन्देली दुल्हो की तरह खजूर के पेड की पत्तियों का मुकुट पहनाया जाता है। पालकी के एक ओर छत्र तथा दूसरी ओर चंवर को देखकर सैकडों वर्ष पुराने बुन्देली राजशी वैभव की याद ताजा हो जाती है विद्युत छटा से जगमगाए ओरछा के रास्तों के बीच पालकी के आगे आज भी बुन्देली अंदाज में मशालीची मशाल लेकर रोशनी के लिए आगे- आगे चलते है नगर में भम्रण के बाद बारात रामराजा की ससुराल विशम्भर मंदिर (जानकी मंदिर) पहुँचती है । जहाॅ पर बारातियों के भव्य स्वागत के साथ द्वारचार की रस्म पूरी होती है। इस दौरान नगर की गली – गली बुन्देली वैवाहिक गीतों से गूॅज उठती है इस तीन दिवसीय समारोह के पहले दिन गणेश पूजन, दूसरे दिन मण्डप व प्रीतिभोज का आयोजन किया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि पूरे वर्ष भर में ओरछा के लोग अपने राजा को अपने यहां वैवाहिक समारोह व प्रीतिभोज में आमंत्रित कर प्रीतिभोज देते है। लेकिन वर्ष में एक बार रामराजा सरकार के यहाँ प्रीतिभोज कार्यक्रम में 10 से 15 हजार लोग भाग लेते है और भगवान का प्रसाद ग्रहण करते है वही साल में एक दिन राजा अपनी प्रजा का हालचाल मंदिर के बाहर आते है इस दौरान भक्त अपने राजा का घरो के बाहर खड़े होकर राजतिलक करते है इस आयोजन में चतुर्भुज मंदिर प्रांगण में एक विशाल मेले का भी आयोजन होता है। इसमें दूर – दराज के दुकानदार तीन दिन अपनी दुकानों यही लगाए रखते है
रामविवाह की तैयारियां पूरी हो चुकी है पूरे नगर को दूधिया रोशनी में सजाया जा रहा है प्रशासन ने विवाह से संबंधित सारी व्यवस्थाओ का जायजा ले लिया है प्रतिभोज हर व्यक्ति को सुविधानुसार प्रसादी मिले व बारात में हर कोई अपने राजा का तिलक द्वार द्वार कर इसका भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है ।।
-अक्षय सिंह (कलेक्टर निवाड़ी )
रामराजा के प्रतिभोज में बनने वाली प्रसादी शुद्ध घी की रहेगी जिसे तकरीबन 50 से 60 हजार लोग ग्रहण करेंगे वही बारात में ढोल नगाड़े हाथी घोड़ो के बीच राजसी बैभव के साथ भगवान दूल्हा बनकर जानकी मंदिर पहुँचेगे जहाँ राम सिया विवाह संपन्न होगा ।।
-रोहित वर्मा तहसीलदार ओरछा