कर्मफल के दाता शनि देव व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से परिणाम देते हैं। शनिवार का दिन उन्हीं को समर्पित है और इस दिन अगर कुछ दान पुण्य और शुभ काम किए जाएं तो हमें अच्छे परिणामों की प्राप्ति हो सकती है। शनि देव दंड नायक के नाम से पहचाने जाते हैं क्योंकि वह व्यक्ति को उसके बुरे कर्मों का दंड भी प्रदान करते हैं।
शनि देव का काम केवल कर्मों के हिसाब से व्यक्ति को उचित मार्ग दिखाना है लेकिन कुछ लोग डर के कारण भी उनकी पूजन अर्चन करते हैं। बता दे की शनिदेव केवल इंसानों को ही नहीं बल्कि देवताओं को भी उनके कर्मों का फल देते थे। शनि की साढ़ेसाती ढैया और महादशा काफी चर्चा में रहती है। आज हम आपको कुछ ऐसे मंत्र बताते हैं जिनका जाप करने से शनि महाराज प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को मालामाल बना देते हैं।

शनि वैदिक मंत्र (Shani Mantra)
अगर शनि देव की शुभ दृष्टि व्यक्ति पर पड़ जाती है तो उसके सारे काम पूरे हो जाते हैं। वह नई ऊंचाइयों को छूने लगता है और हर तरफ से सफलता की प्राप्ति होने लगती है। वहीं अगर वक्री नजर पड़ जाए तो व्यक्ति के साथ सब कुछ विपरीत होने लगता है। ऐसे में शनि वैदिक मंत्र का जाप बहुत अच्छा होता है क्योंकि यह साढ़ेसाती और ढैया के बुरे प्रभाव से राहत दिलाता है।
।।ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।।
शनि पत्नी मंत्र
आप शनिदेव को उनकी पत्नियों का नाम लेकर भी प्रसन्न कर सकते हैं। बताया जाता है कि उनकी आठ पत्नियां थी जिनके अलग-अलग नाम थे। इन्हीं नाम पर यह पूरा मंत्र बना हुआ है। अगर इसका जाप कर लिया जाए तो जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं और शनिदेव की कृपा मिलती है।
“ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया। कंटकी कलही चाऽथ तुरंगी महिषी अजा।”
शनि स्त्रोत
जब किसी भी व्यक्ति के जीवन में शनि की ढैया, साढ़ेसाती या फिर महादशा चल रही होती है तो उसे अपने कर्मों के हिसाब से शुभ और अशुभ परिणाम मिलते हैं। अगर इस समय में अच्छे परिणाम प्राप्त करना है तो शनि स्त्रोत का पाठ करना बहुत शुभ होता है। ये नकारात्मक स्थिति से बचाने का काम करता है।
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च ।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम: ।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते ।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते ।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ॥
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा: ।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत: ॥
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे ।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:।।
तांत्रिक शनि मंत्र
शनिदेव के जितने भी मंत्र हैं, वो बहुत चमत्कारी है। यह ऐसा मंत्र है, जिसका प्रतिदिन जाप किया जा सकता है। अगर आप शनिदेव की कृपा दृष्टि प्राप्त करना चाहते हैं तो इसका जाप जरुर करें। इस बीज मंत्र के तौर पर पहचाना जाता है और इससे कर्म फल के दाता प्रस्ताव में होते हैं।
“ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः”
शनि गायत्री मंत्र
यह शनिदेव का एक ऐसा मंत्र है जो कुंडली में ग्रहों की नकारात्मक स्थिति और दुष्प्रभाव को काम करने का काम करता है। इससे व्यक्ति की पीड़ा दूर होने लगती है और वह सुख, शांति, समृद्धि प्राप्त करता है। शनिवार को किया गया इस मंत्र का जाप ग्रह को शांत करने और सकारात्मक परिणाम दिलाने का काम करता है।
ॐ भग-भवाय विद्महे मृत्युरूपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोदयात् ॥ ॐ काकध्वजाय विद्महे खड्गहस्ताय धीमहि तन्नो मंदः प्रचोदयात् ॥ ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे मृत्युरूपाय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात् ॥