Diwali 2024 : बहुत ही जल्द दिवाली का महत्वपूर्ण त्योहार आने वाला है। इसके लिए बाजारों में काफी ज्यादा रौनक देखने को मिल रही है। सुबह में छिटपूट भीड़ रहने के साथ ही शाम में बाजार लोगों की चहल-पहल से खचाखच भरा रहता है। मार्केट में कपड़ों, ज्वेलरी की बिक्री के अलावा घरों को सजाने वाली लाइटों की बिक्री भी काफी ज्यादा हो चुकी है। लोग रंग-बिरंगी लाइट खरीद रहे हैं। इसके अलावा, घरों की साफ-सफाई भी शुरू कर दी गई है।
वैसे तो हिंदू धर्म में दिवाली महत्वपूर्ण त्योहार है, जोकि हर साल कार्तिक महीने की अमावस तिथि को मनाई जाती है। इस दिन लोग भगवान श्री गणेश और माता लक्ष्मी की विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। दीपक और मोमबत्ती जलाते हैं, इससे अपने घरों को रोशन करते हैं। पुराने गिले-सिकवे मिटाकर एक-दूसरे को मिठाई खिलाते हैं।
इस राज्य में नहीं मनाई जाती Diwali
लेकिन भारत में एक राज्य भी है, जहां दिवाली का त्योहार नहीं मनाया जाता है। इसके पीछे कई धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई है। जिसके बारे में हम आज आपको बताने वाले हैं।
जानें 3 कारण
- यह राज्य कोई और नहीं बल्कि भारत के दक्षिण में स्थित केरल है, जहां दिवाली का त्योहार नहीं मनाया जाता है। इसके पीछे धार्मिक मान्यता यह है कि राजा महाबली की मृत्यु दिवाली के दिन ही हुई थी, जिसे वहां के लोग अपना देवता और राजा मानते थे। इस स्थानीय लोग शोक प्रकट करने के लिए यह त्योहार नहीं मनाते हैं।
- इसके अलावा, केरल में हिंदुओं की संख्या काफी कम है। यह भी एक महत्वपूर्ण वजह है कि यहां के लोग दिवाली नहीं मानते हैं, बल्कि यहां ओणम मनाया जाता है। लोग यहां भगवान श्री कृष्ण की पूजा ज्यादा करते हैं, इसलिए यह भी एक बड़ा कारण है दिवाली नहीं मानने का…
- केरल में मौसम की समस्या होने के कारण भी लोग दिवाली का त्योहार नहीं मानते हैं, क्योंकि अक्टूबर और नवंबर के महीने में यहां पर काफी ज्यादा बारिश होती है। ऐसे में दीपक जलाना काफी मुश्किल हो जाता है। इसलिए भी दीपों का उत्सव इस राज्य में नहीं मानते हैं।
क्यों मनाई जाती है Diwali
वहीं, दिवाली का त्योहार लोग इसलिए मानते हैं क्योंकि भगवान राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके वापस इसी दिन अयोध्या लौटे थे। जिनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए और उनका भव्य स्वागत किया था। तब से ही दिवाली मनाई जाती है। इस खास मौके पर राम की नगरी को फूलों और लाइटों से सजाया जाता है। यहां का नजारा काफी अद्भुत और अनोखा होता है। हर साल यहां हजारों की संख्या में दीप जलाकर दिवाली मनाई जाती है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, देवता और असुर के समुद्र मंथन के दौरान 14 रतन की उत्पत्ति हुई थी, जिनमें से एक मां लक्ष्मी भी थी। इसके अलावा, ऐसी भी मान्यता है कि कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को ही माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था, इसलिए भी इस दिन उनकी खास पूजा-अर्चना की जाती है, ताकि घर-परिवार में सुख-समृद्धि, धन की प्राप्ति हो।
लोगों में दिखता है उत्साह
इस दिनों हर वर्ग के लोगों में काफी ज्यादा उत्साह देखने को मिलता है। लोग अपने घरों को रंग-बिरंगी लाइटों, फूलों और रंगोली बनाकर सजाते हैं। एक-दूसरे को मिठाई खिलाते हैं। बच्चे फुलझड़ी और पटाखे जलाकर दिवाली का त्योहार मनाते हैं। हालांकि, बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों ने पटाखों पर बैन लगा दिया है। साथ ही मिट्टी के बने दीपक जलाकर दिवाली मनाने की अपील की गई है।
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