Thursday Special: सनातन धर्म में, सप्ताह के प्रत्येक दिन को किसी न किसी ग्रह या देवता को समर्पित किया गया है। गुरुवार को भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति का दिन माना जाता है। इनकी पूजा-अर्चना करने और गुरुवार का व्रत रखने से जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं। गुरुवार का व्रत ज्ञान और शिक्षा की प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है। विवाह में बाधा आने पर या संतान प्राप्ति की इच्छा होने पर गुरुवार का व्रत रखना लाभदायी होता है। गुरुवार का व्रत रखने से धन-दौलत की प्राप्ति होती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर होने पर गुरुवार का व्रत रखने से ग्रहों की शांति होती है। नौकरी में तरक्की और व्यवसाय में सफलता के लिए गुरुवार का व्रत रखा जाता है। कुंडली में मजबूत गुरु ग्रह जीवन में खुशियों, समृद्धि और सफलता लाता है। गुरुवार का व्रत, यदि पूरे विधि-विधान से किया जाए, तो यह गुरु ग्रह को मजबूत करने का एक उत्तम तरीका है। अगर आप भी गुरु ग्रह को मजबूत करना चाहते हैं तो आपको गुरुवार के दिन पूजा के साथ गुरु स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए। गुरु स्तोत्र, जिसे गुरु गीता से 14 श्लोकों का संग्रह भी कहा जाता है, भगवान शिव और पार्वती के बीच गुरु की महिमा पर आधारित एक संवाद है। यह स्तोत्र गुरुवार के दिन पूजा के दौरान पाठ करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह दिन देव गुरु बृहस्पति और भगवान विष्णु को समर्पित होता है।
गुरु स्तोत्र
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुस्साक्षात्परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरं।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
अनेकजन्मसंप्राप्तकर्मबन्धविदाहिने ।
आत्मज्ञानप्रदानेन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
मन्नाथः श्रीजगन्नाथो मद्गुरुः श्रीजगद्गुरुः।
ममात्मासर्वभूतात्मा तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
बर्ह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिम्,
द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम्।
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभूतं,
भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि ॥
बृहस्पति कवच (Brihaspati Kavach Lyrics)
अभीष्टफलदं देवं सर्वज्ञम् सुर पूजितम् ।
अक्षमालाधरं शांतं प्रणमामि बृहस्पतिम् ॥
बृहस्पतिः शिरः पातु ललाटं पातु मे गुरुः ।
कर्णौ सुरगुरुः पातु नेत्रे मे अभीष्ठदायकः ॥
जिह्वां पातु सुराचार्यो नासां मे वेदपारगः ।
मुखं मे पातु सर्वज्ञो कंठं मे देवतागुरुः ॥
भुजावांगिरसः पातु करौ पातु शुभप्रदः ।
स्तनौ मे पातु वागीशः कुक्षिं मे शुभलक्षणः ॥
नाभिं केवगुरुः पातु मध्यं पातु सुखप्रदः ।
कटिं पातु जगवंद्य ऊरू मे पातु वाक्पतिः ॥
जानुजंघे सुराचार्यो पादौ विश्वात्मकस्तथा ।
अन्यानि यानि चांगानि रक्षेन्मे सर्वतो गुरुः ॥
इत्येतत्कवचं दिव्यं त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः ।
सर्वान्कामानवाप्नोति सर्वत्र विजयी भवेत् ॥
गुरु स्तोत्र का पाठ करने के क्या-क्या लाभ
गुरु स्तोत्र का पाठ ज्ञान और आत्मज्ञान प्राप्ति में सहायक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि गुरु स्तोत्र का पाठ करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। गुरु स्तोत्र का पाठ करने से ग्रहों की शांति होती है और कुंडली में मौजूद दोष दूर होते हैं। गुरु स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है। गुरु स्तोत्र का पाठ करने से मन शांत होता है और तनाव दूर होता है।
गुरु स्तोत्र का पाठ कैसे करें
1. गुरुवार के दिन स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
2. पूजा स्थान को साफ करके गुरु जी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
3. दीपक जलाएं और धूप करें।
4. गुरु स्तोत्र का पाठ श्रद्धा और भक्तिभाव से करें।
5. प्रत्येक श्लोक के बाद “तस्मै श्री गुरुवे नमः” का उच्चारण करें।
6. गुरु स्तोत्र का पाठ समाप्त करने के बाद गुरु जी की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)