Gayatri Jayanti: भारतीय संस्कृति के गौरवशाली पर्वों में से एक, गायत्री जयंती, ज्ञान और अध्यात्म की ज्योति का प्रतीक है। यह पावन अवसर ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 17 जून 2024 को पड़ रहा है। वेदों की जननी और सर्वशक्तिमान गायत्री मंत्र की साक्षात् स्वरूप मानी जाने वाली देवी गायत्री की पूजा-आराधना इस दिन विशेष रूप से की जाती है। आइए, इस लेख में गायत्री जयंती के महत्व, पूजा विधि और इससे जुड़ी मान्यताओं को विस्तार से जानें।
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वःतत्सवितुर्वरेण्यंभर्गो देवस्य धीमहिधियो यो नः प्रचोदयात्
गायत्री मंत्र के क्या-क्या लाभ होते हैं
गायत्री मंत्र का जाप करने से एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ती है। गायत्री मंत्र का जाप करने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है। गायत्री मंत्र का जाप करने से आत्मविश्वास बढ़ता है। गायत्री मंत्र का जाप करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में लाभ होता है। गायत्री मंत्र का जाप करने से जीवन में सकारात्मकता आती है।
देवी गायत्री का महत्व
देवी गायत्री को वेदों की माता माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि सभी वेद गायत्री मंत्र से ही उत्पन्न हुए हैं। ज्ञान और आध्यात्मिकता का प्रतीक: गायत्री मंत्र को ज्ञान, बुद्धि और प्रकाश का प्रतीक माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से मन शांत होता है, एकाग्रता बढ़ती है और स्मरण शक्ति मजबूत होती है। गायत्री मंत्र सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना जाता है। गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गायत्री जयंती का इतिहास
गायत्री जयंती से जुड़ी अनेक मान्यताएं और कथाएं प्रचलित हैं। एक मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने गायत्री मंत्र की रचना की थी और वेदों को जन्म दिया था। एक अन्य कथा के अनुसार, इसी दिन देवी गायत्री का प्रादुर्भाव हुआ था। महर्षि विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र की प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या की थी। गायत्री मंत्र की प्राप्ति के बाद महर्षि विश्वामित्र ने सर्वप्रथम इसकी उपासना की थी।
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