आज है सावन की विनायक चतुर्थी, भगवान गणेश की आराधना होगी फलदायी

Diksha Bhanupriy
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Vinayaka Chaturthi 2023: हर महीने में दो चतुर्थी आती है। जिनमें से आज सावन माह की विनायक चतुर्थी का विशेष योग है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष उपासना की जाती है और इसका काफी महत्व माना जाता है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी, संकष्टी कहलाती है। शुक्ल पक्ष में आने वाली तिथि विनायक चतुर्थी कहलाती है।

भगवान गणेश की पूजन अर्चन को विशेष फलदायी माना जाता है और पूजा से बड़े-बड़े विघ्नों को टाला जा सकता है। यही वजह है कि भगवान को विघ्नविनाशक के नाम से पुकारा जाता है। आज की चतुर्थी काफी खास है क्योंकि ये सावन में पड़ रही है।

विनायक चतुर्थी के मुहूर्त

चतुर्थी का प्रारंभ सुबह 6:58 बजे से हो रहा है जो 22 अगस्त की सुबह 9:26 बजे तक रहेगी। इस दिन दोपहर 1:58 से सुबह 5:37 तक रवि योग रहेगा और रात 8:12 से 5:37 तक भद्रा का साया पड़ेगा।

चतुर्थी का महत्व

हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना गया है। कोई भी जप तप, अनुष्ठान, शादी विवाह, या मांगलिक प्रसंग होने पर सबसे पहले श्री गणेश की पूजन की जाती है। शास्त्रों में विनायक चतुर्थी को काफी महत्वपूर्ण बताया गया है। इस दिन श्री गणेश की आराधना करने से सुख समृद्धि, धन और वैभव की प्राप्ति होती है। इस दिन विघ्नहर्ता गणेश की पूजन करने से सारे दुख खत्म हो जाते हैं।

श्री गणेश की पूजन विधि

इस दिन भगवान गणेश की पूजन करने के लिए स्नान करने के बाद लाल वस्त्र धारण करें और तांबे के लोटे से भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। इसके बाद गणेश मंदिर में जटा वाला नारियल और मोदक प्रसाद के रूप में अर्पित करें। गजानन को गुलाब के फूल और दूर्वा अर्पित कर उनका स्मरण करें और धूप दीप अर्पित कर दें।

दोपहर के समय जितना आपका सामर्थ्य हो उस अनुसार तांबा, पीतल, मिट्टी या फिर सोने चांदी से निर्मित गणेश प्रतिमा स्थापित करें। संकल्प लेने के बाद पूजन कैसे गणेश की आरती उतारे और भोग के मोदक बच्चों में बांट दें।

ऐसी है कथा

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान गणेश का चेहरा हाथी का था, जिस वजह से कोई उनसे शादी करने को तैयार नहीं था। इस बात से वह नाराज हो गए और उन्होंने दूसरे देवी देवताओं के विवाह में विघ्न उत्पन्न करना शुरू कर दिए। श्री गणेश के नाराज होने की जानकारी लेकर सभी देवता ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और इस समस्या का समाधान करने को कहा। इसके बाद ब्रह्मा जी ने अपनी योग शक्ति से दो मानस पुत्रियां रिद्धि और सिद्धि को जन्म दिया।

ब्रह्मा जी के कहने पर रिद्धि और सिद्धि श्री गणेश के पास किसी भी विवाह की खबर आने पर उनका ध्यान भटका देती और इस तरह देवताओं के विवाह अच्छे से होने लगे। लेकिन धीरे-धीरे गणेश जी का क्रोध बढ़ता जा रहा था और एक दिन उन्होंने ब्रह्मा जी ने उनके समझे रिद्धि सिद्धि से विवाह करने का प्रस्ताव रख दिया। गणेश जी ने सहर्ष ही इसे स्वीकार किया और उनका विवाह संपन्न हुआ और उनका क्रोध भी समाप्त हो गया।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)


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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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