Vastu Tips: सनातन धर्म में वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व है। वास्तु शास्त्र, जिसे “वास्तु विद्या” भी कहा जाता है, वास्तुकला और निर्माण का एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है। यह सिद्धांतों और दिशानिर्देशों का एक समूह है जो सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाने और नकारात्मक ऊर्जा को कम करने के लिए घरों, भवनों और अन्य संरचनाओं के निर्माण और डिजाइन में उपयोग किया जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, ब्रह्मांड में पांच मूल तत्व हैं: पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। इन तत्वों का संतुलन हमारे जीवन और स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। वास्तु शास्त्र का उद्देश्य इन तत्वों के बीच संतुलन बनाकर घरों और भवनों में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाना है। आज हम खासतौर पर वास्तु शास्त्र के द्वारा किचन यानी रसोईघर के बताए गए नियमों के बारे में बात करेंगे। रसोई, घर का वह हिस्सा जहां स्वादिष्ट व्यंजन बनते हैं, और परिवार के स्वास्थ्य और खुशहाली का आधार बनते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोई में नमक रखने के कुछ विशेष नियम हैं, जिनका पालन करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और घर में सुख-समृद्धि आती है। इसी के चलते आज हम इस लेख के द्वारा विस्तार से जानेंगे कि रसोई घर में नमक कैसे और कहां रखना चाहिए, तो चलिए जानते हैं।
वास्तु शास्त्र में किचन में रखे नमक के क्या-क्या नियम बताए गए हैं
1. दिशा का महत्व
वास्तु के अनुसार, नमक को भूलकर भी रसोई की दक्षिण दिशा में नहीं रखना चाहिए। यह दिशा यम देवता की मानी जाती है, और नमक को यहाँ रखने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है, जिससे घर में कर्ज और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आ सकती हैं।