सनातन धर्म में पूजा पाठ का विशेष महत्व है। सभी देवी देवताओं को पूजने का तरीका और उनसे जुड़े नियम भी अलग-अलग हैं। आज सोमवार है सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित रहता है। इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है। भगवान शिव की पूजा बहुत ही सरल होती है मात्र एक लोटा जल चढ़ाने से ही शिवजी प्रसन्न हो जाते हैं। आप जब भी शिवजी के मंदिर गए होंगे तो आपने अक्सर देखा होगा की पूजा के दौरान लोग शिवजी के पास तीन बार ताली बजाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ताली क्यों बजाई जाती है और सिर्फ तीन बार ही क्यों इसके पीछे का क्या कारण है और ताली बजाने का क्या महत्व है? अगर नहीं तो आज हम आपको ताली बजाने से जुड़े कहीं बातें बताएंगे, तो चलिए जानते हैं।
शिवजी के मंदिर में क्यों बजाई जाती है 3 बार ताली
पहली ताली का अर्थ: पहली ताली भगवान शिव के सामने अपने उपस्थिति जताने के लिए बजाई जाती है।
दूसरी ताली का अर्थ: दूसरी ताली भगवान शिव को अपनी प्रार्थना और प्रसाद स्वीकार करने के लिए बजाई जाती है।
दूसरी ताली का अर्थ: तीसरी ताली बजाने का यह अर्थ होता है, कि हम भगवान से कह रहे हैं कि हमें अपनी शरण में रखिए और अपने चरणों में जगह दें।
कब शुरू हुई तीन बार ताली बजाने की परंपरा
ऐसा कहा जाता है कि रावण से बड़ा भक्त और बड़ा ब्राह्मण ना कोई था ना कोई होगा। लंका के राजा रावण देवों के देव महादेव का बहुत बड़ा भक्त था। रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की, उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने रावण को शक्ति और लंका का राज्य दिया था। इस बात से प्रसन्न होकर रावण ने भगवान से आभार व्यक्त करते हुए पूजा के बाद तीन बार ताली बजाई। तब से यह परंपरा जल्दी आ रही है, सभी की ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव की भक्ति करनी और उनके सामने तीन बार ताली बजाने से रुके हुए काम बन जाते हैं और हर काम में सफलता मिलती है।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)