उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की तारीखें भले ही तय न हुई हों, लेकिन गांवों में राजनीतिक सरगर्मियां जोर पकड़ रही हैं। ग्राम पंचायतों के प्रधानों के खिलाफ शिकायतों की बाढ़ आ गई है, जिसमें विकास कार्यों में मनमानी और भ्रष्टाचार के आरोप प्रमुख हैं। लखीमपुर में जहां पहले महीने में एक-दो शिकायतें दर्ज होती थीं, अब यह संख्या बढ़कर 10 तक पहुंच गई है। जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) ने इन शिकायतों की जांच के लिए जिला स्तरीय और तकनीकी अधिकारियों की एक विशेष टीम गठित करने का निर्देश दिया है।
पंचायत राज विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पहले जहां ग्राम प्रधानों के खिलाफ शिकायतें गिनी-चुनी थीं, वहीं अब पंचायत चुनाव नजदीक आने के साथ इनमें तेजी आई है। शिकायतें शपथ पत्र के जरिए दर्ज की जा रही हैं, जिनमें कुंभी गोला के सुहेला, बांकेगंज के बाबरपुर, पसगवां के जमुका, नकहा के दोनवा और जड़ौरा जैसी ग्राम पंचायतों के प्रधानों पर आरोप लगे हैं। इसके अलावा सैदीपुर हरैया, भेडौरी, पनई, भुड़वारा और सिंकदराबाद के प्रधानों के खिलाफ भी शिकायतें दर्ज हुई हैं। इनमें ज्यादातर आरोप खंड़जा, सड़क निर्माण, आवास योजना, मनरेगा, हैंडपंप रिबोर, स्ट्रीट लाइट और तालाब सौंदर्यीकरण में अनियमितताओं से संबंधित हैं।
शिकायतों की निष्पक्ष जांच के लिए जिला स्तरीय अधिकारी
जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) विशाल सिंह ने बताया कि शिकायतों में वृद्धि के पीछे चुनावी माहौल को माना जा रहा है। शिकायतकर्ता शपथ पत्र के साथ भ्रष्टाचार और मनमानी के सबूत पेश कर रहे हैं। डीएम ने इन शिकायतों की निष्पक्ष जांच के लिए एक जिला स्तरीय अधिकारी और एक तकनीकी विशेषज्ञ की टीम गठित करने का आदेश दिया है। यह कदम ग्राम पंचायतों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया है।
पंचायत चुनाव आने से गांवों में राजनीतिक गतिविधियां हुई तेज
पंचायत चुनाव के नजदीक आने के साथ ही गांवों में राजनीतिक गतिविधियां और तेज होने की संभावना है। ग्राम प्रधानों के खिलाफ बढ़ती शिकायतें स्थानीय स्तर पर असंतोष और प्रतिस्पर्धा को दर्शाती हैं। प्रशासन ने साफ कर दिया है कि सभी शिकायतों की गहन जांच होगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह कदम न केवल चुनावी प्रक्रिया को स्वच्छ बनाने में मदद करेगा, बल्कि ग्रामीण विकास कार्यों में पारदर्शिता को भी बढ़ावा देगा।





