लखनऊ नगर निगम ने मंगलवार को हुई सदन की बैठक में कई सेवाओं और व्यवसायों पर लाइसेंस शुल्क बढ़ाने का फैसला किया है, जिससे शहरवासियों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। पार्किंग, सिनेमा, इलाज, शराब, ई-रिक्शा, पानी और सीवर जैसी सुविधाओं के शुल्क में वृद्धि की गई है। यह निर्णय राजस्व बढ़ाने के लिए लिया गया है, लेकिन आम जनता इसे अपनी आर्थिक स्थिति पर बोझ मान रही है। केंद्र सरकार जहां जीएसटी में राहत देकर महंगाई कम करने की कोशिश कर रही है, वहीं यह कदम शहरवासियों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
पार्किंग शुल्क में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। अब दोपहिया वाहनों के लिए एक घंटे का शुल्क 7 रुपये और चार पहिया वाहनों के लिए 15 रुपये होगा, जबकि पहले 4 घंटे के लिए क्रमशः 10 और 20 रुपये थे। सिनेमा घरों पर भी टैक्स बढ़ाया गया है, जिसमें मल्टीप्लेक्स को प्रति स्क्रीन प्रति शो 300 रुपये और सिंगल स्क्रीन को प्रति शो 100 रुपये देना होगा। शराब की दुकानों के लाइसेंस शुल्क में भी इजाफा हुआ है, जैसे मॉडल शॉप का शुल्क 60 हजार से बढ़कर 85 हजार रुपये और बियर की दुकानों का शुल्क 30 हजार से 75 हजार रुपये हो गया है।
स्वास्थ्य सेवाओं पर असर
स्वास्थ्य सेवाओं पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि नर्सिंग होम, प्रसूति गृह, डेंटल क्लिनिक और पैथोलॉजी के लाइसेंस शुल्क को लगभग दोगुना कर दिया गया है। अब 50 बेड तक के नर्सिंग होम का शुल्क 7500 से बढ़कर 13 हजार रुपये और पैथोलॉजी का शुल्क 5 हजार से 10 हजार रुपये हो गया है। इसके अलावा, ई-रिक्शा, ऑटो और टेंपो चालकों को भी अब वार्षिक लाइसेंस शुल्क देना होगा, जिसमें पांच सीटर ई-रिक्शा और ऑटो मालिकों को 800 रुपये और चालकों को 200 रुपये प्रति वर्ष चुकाने होंगे।
पानी और सीवर सेवाएं भी महंगी
पानी और सीवर सेवाएं भी महंगी हो गई हैं। जलकल के पानी के टैंकर का शुल्क एक घंटे के लिए 500 रुपये और 24 घंटे के लिए 1000 रुपये तय किया गया है। सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए दूरी के आधार पर 1200 से 1600 रुपये शुल्क देना होगा। भरवारा एसटीपी में सीवेज निस्तारण के लिए 100 से 200 रुपये का अतिरिक्त शुल्क लागू होगा। इन सभी बढ़ोतरी से लखनऊ के निवासियों को रोजमर्रा की जरूरतों के लिए अधिक खर्च करना पड़ेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर दबाव बढ़ सकता है।





