बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने देश में विभिन्न धर्मों के पूजास्थलों और महापुरुषों के अपमान से सामाजिक और राजनीतिक माहौल खराब करने के ‘षड्यंत्र’ पर चिंता जताई। रविवार को लखनऊ में पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में उन्होंने सरकारों से संकीर्ण, जातिवादी और साम्प्रदायिक राजनीति छोड़कर ऐसी घटनाओं के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने की मांग की। मायावती ने कहा कि इससे देश में अमन-चैन स्थापित होगा, जिससे लोग अपनी आजीविका और परिवार की शिक्षा का प्रबंध कर सकेंगे।
मायावती ने बैठक में कहा कि विरोधी पार्टियाँ साम, दाम, दंड, भेद जैसे हथकंडों का इस्तेमाल कर बीएसपी, बहुजन आंदोलन और इसके नेतृत्व को कमजोर करने की साजिश रच रही हैं। उनका मकसद दलित, आदिवासी, पिछड़े, मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को उनके संवैधानिक और कानूनी अधिकारों से वंचित रखना है, ताकि उन्हें शासक वर्ग बनने से रोका जा सके। मायावती ने कार्यकर्ताओं को इन चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहने और पार्टी के जनाधार को मजबूत करने का आह्वान किया।
संगठनात्मक समीक्षा और कांशीराम की पुण्यतिथि की तैयारी
मायावती ने जिला से बूथ स्तर तक कमेटियों के गठन के लिए चलाए गए अभियान की समीक्षा की और 80 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्ति पर संतोष जताया। उन्होंने शेष कार्यों को 9 अक्टूबर को कांशीराम की पुण्यतिथि पर आयोजित होने वाले राज्यव्यापी कार्यक्रम के बाद शुरू करने के निर्देश दिए। इस कार्यक्रम में बीएसपी अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगी और आगामी राजनीतिक रणनीतियों पर चर्चा करेगी। मायावती ने कार्यकर्ताओं से संगठन को और मजबूत करने के लिए जमीनी स्तर पर सक्रियता बढ़ाने को कहा।
सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों पर चेतावनी
मायावती ने देश के मौजूदा राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक हालात पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पूजास्थलों और महापुरुषों के अपमान जैसे कृत्य सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुँचाते हैं और राजनीतिक अस्थिरता पैदा करते हैं। उन्होंने सरकारों से अपराधियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने और कानून का राज स्थापित करने की अपील की। मायावती ने जोर दिया कि बीएसपी बहुजन समाज के अधिकारों की रक्षा और उन्हें सशक्त बनाने के लिए लगातार संघर्ष जारी रखेगी।





