Taj Mahal Unknown Facts : भारत में एक से बढ़कर एक टूरिस्ट प्लेस है, जिनमें आगरा का ताजमहल भी शामिल है, जो कि उत्तर प्रदेश में स्थित है। यमुना नदी के किनारे बने इस भव्य मकवारे को प्यार की निशानी के तौर पर देखा जाता है। यहां पूरे विश्व भर से लाखों की संख्या में पर्यटक हर साल पहुंचते हैं, जिसकी देखरेख की पूरी जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के हाथ में है। साल 1983 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा मिल चुका है।
42 एकड़ की जमीन फैले पहले इस मकबरे से एक से बढ़कर एक इंटरेस्टिंग फैक्ट एस जुड़े हुए हैं। इसे बनाने के लिए बेशकीमती पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है।
नो फ्लाइंग जोन घोषित
जैसा कि हम सभी जानते हैं ताजमहल को शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में बनवाया था। इसे बनाने में कई साल लगे थे। वहीं, सरकार द्वारा साल 2006 में ही ताजमहल को नो फ्लाइंग जोन घोषित कर दिया गया है, ताकि वहां जाने वाले पर्यटकों की सुरक्षा में किसी प्रकार की कोई बाधा ना आए। साथ ही धुएं और कंपन से संगमरमर पर असर न पड़े। दुनिया के सात अजूबों में एक ताजमहल को बनने में लगभग 22 साल लगे थे। आज हम आपको ताजमहल से जुड़े एक ऐसे फैक्ट के बारे में बताएंगे, जो यहां बंद 22 कमरों से जुड़ा हुआ है। इसके अंदर मुमताज महल की कब्र के अलावा कई कमरे भी मौजूद हैं, जो मुगल काल से ही बंद है। यहां किसी को जाने की अनुमति नहीं है।
यह हिस्सा कई सालों से है बंद
बता दें कि ताजमहल का वह हिस्सा जो कई सालों से बंद है, जहां 22 कमरे शामिल है। यहां आज तक कोई नहीं गया। इतिहासकारों की मानें, तो इन कमरों को आखिरी बार 1934 में खोला गया था। वह भी केवल निरीक्षण और मरम्मत करने के लिए… इस और जाने वाली दो सीढ़ियां शाहजहां के समय से ही बंद है।
जानें वजह
कई रिसर्च में यह दावा किया गया है कि उस बेसमेंट को इसलिए बंद कर दिया गया है, क्योंकि यदि यहां कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ेगी, तो वह कैल्शियम कार्बोनेट में बदल सकती है। ऐसी परिस्थिति में ताजमहल की दीवार और मार्बल्स को नुकसान पहुंच सकता है। वहीं, कुछ इतिहासकारों का ऐसा भी मानना है कि यहां कई मूर्तियां और शिलालेख मौजूद है, जिसे लेकर याचिकाकर्ता ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से इजाजत भी मांगी, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस जनहित याचिका को खारिज कर दिया था।





